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५२. पत्र : सरोजिनी नायडूको

कुमार पार्क,बंगलोर

२५ जून, १९२७

प्रिय मीराबाई,

आपका स्नेहपूर्ण पत्र मिला । मैं तो यही उम्मीद करता हूँ कि पद्मजाके सोफेपर लेटे रहनेका कारण यह नहीं है कि वह बीमार या थकी हुई रहती है, बल्कि यह है कि वह ज्यादा लाड़-प्यारसे बिगड़ गई है और चाहती है कि उसकी माँ उसे हमेशा दुलराती रहे। अब उसे अपनी बीमारी और कमजोरीपर काबू पाकर किसी बड़े काम में जुट जाना चाहिए और हम बूढ़े लोगोंका भार हलका कर देना चाहिए। आप उसी हालत में मेरे वास्तविक विश्राम करनेके अधिकारकी बात कर सकती हैं।

अगर अगले साल डॉ० अन्सारीको कांग्रेसकी अध्यक्षता नहीं करनी है तो हमें किसी अन्य पुरुष या स्त्रीको ढूंढ़ना चाहिए। मोतीलालजीके खिलाफ अभी बहुत-सी ताकतें काम कर रही हैं। उनके लिए तो यह भार बहुत ज्यादा होगा । में इस विचारसे सहमत नहीं हूँ कि अगले सालके लिए हमें किसी हिन्दूको ही अध्यक्ष चुनना चाहिए। इसके विपरीत, हमारे ध्यानमें जो उद्देश्य है, खुद उस उद्देश्यकी ही दृष्टिसे इस पद के लिए डॉ० अन्सारीके अलावा और कोई उपयुक्त व्यक्ति नहीं है ।[१] कांग्रेस में हिन्दू-मुस्लिम समझौतेका कोई प्रस्ताव वही पास करा सकते हैं। उनका चुना जाना सबको पसन्द आयेगा । हिन्दू लोग निष्ठापूर्वक उनके आदेशोंका पालन करेंगे और एक मुसलमानके अध्यक्ष होनेपर भी ऐसा नहीं होगा - न हो सकता है - कि कांग्रेस मुख्य रूपसे हिन्दुओंकी संस्था न रह जाये । आप इस सुझावपर विचार कीजिए और अगर मनमें कोई शंका हो तो तार द्वारा सूचित कीजिए कि इस विषयपर बातचीत करनेके लिए आप बंगलोरके लिए रवाना हो रही हैं। आज मैंने यथा समय एक तार भेज दिया है ।

सस्नेह-

आपका,

"जादूगर"

श्रीमती सरोजिनीदेवी

ताजमहल होटल

बम्बई

अंग्रेजी (एस० एन० १२८६८) की फोटो नकलसे ।

  1. देखिए 'पत्र : मोतीलाल नेहरूको", २९-६-१९२७