पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

५३. पत्र : शाह चमनलाल डूंगाजीको

कुमार पार्क, बंगलोर

१६ जून,१९२७

प्रिय भाई,

आपका पत्र मिला । आपके साथ जिस सवाल पर बातचीत हुई थी, उसपर तो में 'यंग इंडिया' में लिखनेका इरादा पहले ही कर चुका था । क्या आप चाहते हैं कि आपके इस पत्रका और इसमें दिये तथ्योंका - विशेषकर इस तथ्यका कि शेरों और बाघोंको खाना देनेके लिए गाय और बैल हर रोज काटे जाते हैं- मैं सार्व- जनिक उपयोग करूँ ?

आपने किस आधारपर कहा है कि में गो-हत्या बन्द करने के लिए कानून बनानेके बिलकुल खिलाफ हूँ? में चाहूँगा कि आप मुझे वह वक्तव्य दिखायें जिसमें मुझपर ऐसा विचार रखनेका आरोप लगाया गया है। वास्तविकता यह है कि मैंने कभी ऐसा विचार रखा ही नहीं। मैंने जो बात कही और जिसपर में आज भी दृढ़ हूँ वह यह कि अगर समझदार मुसलमानोंका बहुमत ऐसे कानूनके खिलाफ हो तो हिन्दू राज्य में भी ऐसा कानून नहीं बनाया जाना चाहिए। मैंने यह भी कहा है कि सिर्फ कानून बनानेसे ही गो-रक्षा नहीं हो सकती । लेकिन 'यंग इंडिया ' में इस विषय- पर विस्तारसे लिखनेका मेरा इरादा है ।[१] मुझे उम्मीद है कि आप उस लेखको पढ़ेंगे ।

अगर आप इस विषयपर मेरे साथ और भी विस्तारसे बातचीत करना चाहते हों तो इस समस्या में दिलचस्पी रखनेवाले हरएक भाईका सोमवारके अलावा हररोज ४ बजे शामको स्वागत है। आपको ठहरना न पड़े, इसलिए मेरा सुझाव है कि आप पहलेसे ही कोई समय ले लीजिए ताकि में ठीक निर्धारित समयपर आपसे बातचीत करनेको तैयार रहूँ ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत शाह चमनलाल डूंगाजी

अध्यक्ष

श्री गोरक्षा मण्डली

बंगलोर सिटी

अंग्रेजी (एस० एन० १२९१८) की माइक्रोफिल्म से ।

  1. देखिए “मैसूर में गाथ", ७-७-१९२७।