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पत्र : मु० अ० अन्सारीको

संघके मताधिकार प्राप्त निवासियोंके बराबरका दर्जा नहीं प्रदान किया जाता । कांग्रेस संघ सरकारसे अपील करती है कि वह सभी वर्गभेद करनेवाले कानूनोंको रद करके, विशेषकर १९२६ के रंगभेद अधिनियमको, १९२७ के शराब विधेयककी उस धाराको जिसके जरिये होटलोंमें भारतीयोंके वेटरोंके रूपमें नौकरी पानेपर रोक लगाई गई है, तथा नेटालके म्युनिसिपल भूमि संक्रामण अध्यादेशोंको, जिस हदतक कि वे जाति- पृथक्करण करते हैं, रद करके दोनों देशोंके बीच उत्पन्न हुई सद्भावनाको परिपुष्ट करे ।

यह कांग्रेस दीनबन्धु सी० एफ० एन्ड्रयूज द्वारा दक्षिण आफ्रिका और पूर्व आफ्रिकाके प्रवासी भारतीयोंके दर्जेके सम्बन्ध में किये गये उनके महान और मानवतावादी कार्योंके प्रति अपनी गहरी कृतज्ञताकी भावना व्यक्त करती है ।

[ अंग्रेजी से ]
रिपोर्ट ऑफ द फोर्टी-सेकंड इंडियन नेशनल कांग्रेस हेल्ड एट मद्रास, १९२७

३१४. पत्र : मु० अ० अन्सारीको

२८ दिसम्बर, १९२७

प्रिय डा० अन्सारी,

गाय-सम्बन्धी प्रस्तावने तो मुझे भीतरतक झकझोर दिया है। मैं उसे ध्यान- पूर्वक कल रात जाकर ही पढ़ पाया। जितना ही मैं उसके बारेमें सोचता हूँ, उतना ही मेरा मन उससे दूर हटता है । एम० ए० आजादके हाथ मैंने जो मसविदा[१] भेजा था वह उसका स्थानापन्न नहीं है। मैंने मौलाना साहबसे कह दिया है कि वह मुझे किसी भी तरह सन्तोषजनक नहीं लगता। एक-मात्र हल जो मैं देख सकता हूँ वह वही है जो मैंने सुझाया है। इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप इस अधिवेशनमें उस प्रस्तावपर आगे कार्रवाई बिलकुल न करें। जो मुसलमान मित्र यहाँ हैं, मुझे उनसे बात करनी है और उनके सामने अपनी विषम स्थिति रखनी है। लेकिन मैं आपको इस स्थितिमें कष्ट नहीं दूंगा । आपके हाथमें और भी कई काम हैं । तथापि मैं [ अली ] बन्धुओंसे मिलने की कोशिश कर रहा हूँ। मैं मदद करने आया था। अब मैं एक बाधा बनता जा रहा हूँ। मेरा दुःख अवर्णनीय है ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० १२३९२) की फोटो-नकलसे ।
 
  1. १. सम्भवतः कांग्रेस द्वारा स्वीकृत हिन्दू-मुस्लिम एकता सम्बन्धी प्रस्तावका भाग ख-खण्ड १; देखिए परिशिष्ट ९ ।