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परिशिष्ट

बनाकर छोड़ेंगे।[१] उन्होंने इविनकी बात ध्यानपूर्वक सुनी और उनकी बात खत्म होने पर स्वयं अपना सामान्य राजनीतिक दर्शन विस्तारसे समझाया। उन्होंने कहा, मेरी दृष्टिमें ब्रिटिश अभिभावकत्वकी कोई आवश्यकता नहीं है। भारतमें जो आत्माभिमान होना चाहिए उस आत्माभिमानको हानि पहुँचानेकी सलाह भारतको देनेकी अपेक्षा मैं अनिश्चित कालतक प्रतीक्षा करनेको तैयार हूँ। भारत जो चाहता है वह चीज ब्रिटिश संसदको भारतको दे देनी चाहिए। इसीलिए मैं इन सारी बातोंसे अपनेको बहुत दूर महसूस करता हूँ। कांग्रेस एक विचारकी सेवा कर रही है—असहयोगके विचारकी—जो अन्ततः संसदके दिमागपर अपनी छाप डालेगी। साम्प्रदायिकता खत्म हो जायेगी; विभिन्न सम्प्रदाय भारतको आत्मसात् करने की कोशिश करते रहे हैं।

इस भेंट में इर्विनको महात्माकी असम्बद्ध राजनीतिक तकनीकका अनुभव हुआ। इर्विनको उनकी बातें अस्पष्ट लगीं लेकिन उन्होंने उनके अन्दर कोई कटुता नहीं पाई और यह देखकर उन्हें खुशी हुई कि बातचीत में वह औचित्यका ध्यान रखते हैं। लेकिन उनकी बातचीत में ऐसा कुछ नहीं था जो वाइसरायकी व्यावहारिक बुद्धिकी पकड़ में आता।. . .यह तो जब गांधी तथा अन्य लोगोंने कहा कि ब्रिटिश संसदीय समितिसे बातचीत करनेके लिए भारतीय विधान मण्डलके प्रतिनिधियोंको निमन्त्रित करनेकी विधि क्या हो, इस बातको वे कोई महत्त्व नहीं देते, तब इर्विनको उन्हें यह स्पष्ट रूपसे बतानेका मौका मिला कि यदि वे इस अवसरका लाभ नहीं उठाते तो वे बड़ी भयंकर राजनीतिक गलती करेंगे और ब्रिटिश लोकमतको सदाके लिए अपने विरुद्ध कर लेंगे।

[अंग्रेजीसे]
हैलिफैक्स : द लाइफ ऑफ लॉर्ड हैलिफैक्स

(३)

कुछ क्षेत्रोंमें ऐसा विश्वास किया जाता है कि वाइसरायको व्हाइट हालके एक आदेश से यह प्रेरणा मिली थी कि भारतको ब्रिटेनके सभी राजनीतिक दलोंका प्रतिनिधित्व करनेवाले एक सर्वथा संसदीय आयोगको सम्पन्न कार्यके रूपमें स्वीकार कर लेना चाहिए; और जो लोग हानिकर ढंगके आन्दोलनकारी सिद्ध हों उन्हें पहलेसे ही बता दिया जाना चाहिए कि सरकार किसी प्रकारकी धौंस और अनर्गल बातोंको और अधिक बर्दाश्त नहीं करेगी।

तथापि भारतीय लोग आयोगके काममें सलाहकारोंके रूपमें सम्बद्ध रहेंगे। सलाहकारोंका चुनाव करनेके मामलेमें भी साम्प्रदायिक माँगोंपर ध्यान दिया जायेगा; लेकिन इन माँगोंको तभी शान्त किया जा सकता है जब सलाहकारोंके रूपमें केवल सरकारी पक्षके भारतीयोंको नियुक्त किया जाये। ऐसा माना जाता है कि वाइसरायने जो कुछ कहा उसका यही सार था।

  1. देखिए खण्ड ३६, "पत्र : लॉर्ड इविनको", २६-४-१९२८।