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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वैध तरीकों और साधनों के जरिये, जिसमें हमारे भारत मन्त्रीकी अनुमतिसे आयोग द्वारा किसी व्यक्ति या व्यक्तियोंको अवर जाँच करने और उस जाँचके परिणामोंकी सूचना आयोगको देनेके लिए नियुक्त करनेका अधिकार भी शामिल है, विचारार्थं विषयोंके बारेमें और उससे सम्बन्धित जाँच कर सकते हैं।

हम आपको या आपमें से किसी भी एक सदस्यको यह अधिकार देते हैं कि व्यक्तिगत रूपसे ऐसे स्थानोंपर जाकर मौकेपर जाँच कर सकें जहाँ आप उपर्युक्त उद्देश्योंको ज्यादा कारगर ढंग से कार्यान्वित करनेकी दृष्टिसे खुद जाकर जाँच करना जरूरी समझें।

और हम इस पत्र द्वारा यह निर्धारित ‌करते हैं कि हमारा यह समादेश पूर्ण रूपसे बराबर लागू रहेगा और यह कि आप हमारे आयुक्तगण, अथवा आपमें से कोई तीन या तीनसे अधिक सदस्य इस समादेशको, तथा इसमें सन्निहित सभी बातोंको कार्यान्वित करने के लिए कदम उठायेंगे; लेकिन आयोगकी कार्यवाही समय-समय पर स्थगित की जा सकती है।

और हम यह भी निर्धारित करते हैं कि आपको या आपमें से किन्हीं तीन या तीनसे अधिक सदस्योंको यह स्वतन्त्रता है कि आवश्यकता अनुभव करनेपर आप इस समादेशके अन्तर्गत अपने कार्योंकी रिपोर्ट देते रहें :

और हमारी यह भी इच्छा है कि आप यथासम्भव कमसे कम समयके अन्दर अपने हस्ताक्षर और मुहरके साथ या अपनेमें से किन्हीं तीन या तीन सदस्योंके हस्ताक्षर और मुहरके साथ इस समादेशमें निर्धारित विषयोंके बारेमें अपनी रायकी सूचना हमें दें।

हमारे शासनके अठारहवें वर्ष में छब्बीस नवम्बर, उन्नीससौ सत्ताईस को हमारे सेंट जेम्सके दरबारमें महामहिम सम्राट्की आज्ञासे दिया गया।

डब्ल्यू॰ ज्वायन्सन-हिक्स

[अंग्रेजीसे]
इंडिया इन १९२७-२८

परिशिष्ट ९
हिन्दू-मुस्लिम एकता सम्बन्धी प्रस्ताव
भाग क–राजनीतिक अधिकार[१]

यह कांग्रेस निश्चय करती है कि १. किसी भी भावी संविधान योजनामें, जहाँतक विभिन्न विधान मण्डलोंमें प्रतिनिधित्वका प्रश्न है, सभी प्रान्तोंमें और केन्द्रीय विधान मण्डलोंमें संयुक्त निर्वाचक मण्डलका गठन किया जायेगा; २. दोनों महान

  1. यह प्रस्ताव मद्रासमें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके अधिवेशनमें २६ दिसम्बर, १९२७ को पास किया गया था; देखिए २५-१२-१९२७ और २८-१२-१९२७ को अन्सारीको लिखे पत्र।