पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/१०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७१
पत्र : बी० राजाराम पण्डेयको

क्या सम्बन्ध है, जो आश्रम बहुविध कार्यकलापका प्रतिनिधित्व करता है--चमड़ा पकाना, डेरी चलाना, खेती, स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रयोग, कपास उगाना, उसे ओटना, फिर घुनाई, बुनाई, रँगाई, छपाई, बढ़ईगिरी, लोहा गिरी, शिक्षा सम्बन्धी प्रयोग, विधवाओंकी देखभाल, तथाकथित अछूतोंका ध्यान रखना आदि ? और उस दानपर, जो घोषणा के दिन दे नहीं दिया गया, दातासे दुगुना ब्याज क्यों न वसूल किया जाये; दाता तो घोषणाके दिनसे ही उसका ट्रस्टी बन गया ? इससे पहले कि मैं अन्तिम रूपसे आपके चेकसे निबटूं कृपया आप इस समस्याको सुलझा लें। और मैं आपसे यह कहूँगा कि आप इस प्रश्नका निर्णय करते समय श्रीमती दुनीचन्दकी राय ले लें। जब मुझे आपके घर रहनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ था, मैंने श्रीमती दुनीचन्दमें, जितना बनियापन आपने दिखाया है, उससे कम बनियापन देखा था।

हृदयसे आपका,

लाला दुनीचन्द
एडवोकेट
कृपानिवास
अम्बाला शहर

अंग्रेजी (एस० एन० १३०८०) की फोटो--नकलसे ।

७२. पत्र : बी० राजाराम पाण्डेयको

आश्रम
साबरमती
१९ फरवरी,१९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। यदि आपमें अपनी धारणाके अनुसार काम करनेका साहस हैं, निस्सन्देह आप दोनों लड़कोंको स्कूल नहीं भेजेंगे; या तो आप उनके लिए कोई निजी प्रबन्ध करेंगे या फिर उन्हें किसी राष्ट्रीय स्कूलमें भेजेंगे। इसके साथ मैं यह भी जरूर कहूँगा कि आपने अपने पत्रमें जो स्वर अपनाया है वह मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता । यदि आपने मुख्याध्यापकको स्पष्ट कह दिया होता कि बहिष्कारकी राष्ट्रीय घोषणाके कारण आपने अपने लड़के स्कूल नहीं भेजे हैं, तो यह बहुत प्रतिष्ठाके अनुकूल बात होती। यह सच है कि तब भी लड़कोंको स्कूलसे बाहर निकाल दिया जाता; परन्तु यह मुँह-माँगा और इसलिए प्रतिष्ठाजनक निष्कासन होता ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत बी० राजाराम पाण्डेयन
भास्कर विलास पैलेस
रामनद

अंग्रेजी (एस० एन० १३०९०) की फोटो-नकलसे ।