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पत्र : पद्मराज जैनको

उनके लगभग उतने ही भिन्न मत हैं। बहरहाल मुझे आशा इस बातसे है कि हमारा मामला न्याय-संगत है।

आशा है कि आँखें आपको ज्यादा तकलीफ नहीं दे रही होंगी।

हृदयसे आपका

अंग्रेजी (एस० एन० १३०८३) की फोटो--नकलसे ।

७४. पत्र : पद्मराज जैनको

आश्रम
साबरमती
२९फरवरी,१९२८

प्रिय पद्मराज बाबू,

आपका पत्र मिला। मेरे विचार 'यंग इंडिया' के पृष्ठोंमें समय-समयपर और साफ तौरसे व्यक्त ही होते रहते हैं। मुझे कुछ अन्दाज नहीं कि फिलहाल वहाँ क्या किया जा रहा है। परन्तु मैं सुझाव देता हूँ कि आप पण्डित मालवीयजीसे सलाह लें; वे वर्तमान आन्दोलनकी भीतरी हालतको मेरी अपेक्षा ज्यादा जानते हैं, मैं तो बिस्तरपर बीमार पड़ा हूँ; इसलिए जैसा कि आप देखते ही होंगे, मैं सिर्फ स्वदेशी, बहिष्कार और इसी तरहके अन्य विषयोंपर अपने आम विचारोंको अभिव्यक्त करके अपने आपको सन्तुष्ट रख लेता हूँ ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत पद्मराज जैन
बंगाल प्रान्तीय हिन्दू सभा
१६०,हैरिसन रोड
कलकत्ता

अंग्रेजी (एस० एन० १३०८९) की फोटो--नकलसे ।