पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/११९

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८८. पत्र : रेवाशंकर झवेरीको

रविवार[४ मार्च १९२८]

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आदरणीय रेवाशंकरभाई,

आपका पत्र मिला। चि० धीरूके विषयमें जो भी करें उसका समाचार मुझे देते रहें। उसके साथ आपको जाना पड़ेगा या किसी और को ? क्या यहाँसे किसी आदमीको भेजनेकी जरूरत है ? जेकीके बारेमें समझ गया हूँ ।

मोहनदासके प्रणाम


गुजराती (जी० एन० १२७६) की फोटो-नकलसे ।


८९. पत्र : प्रेम महाविद्यालय-न्यासके अध्यक्षको

आश्रम
साबरमती
५ मार्च, [ १९२८]

अध्यक्ष
प्रेम महाविद्यालय न्यास
वृंदावन
प्रिय मित्र,

आपके तारसे यह जानकर कि प्रेम महाविद्यालयके न्यासियोंने सर्वसम्मतिसे आचार्य गिडवानीकी जगह अध्यापक जुगलकिशोरको नियुक्त करना तय किया है, मुझे प्रसन्नता हुई। आप श्रीयुत जुगलकिशोरकी सेवाओंका बारह महीनों तक सहर्ष उपयोग कर सकते हैं।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १३०९७) की माइक्रोफिल्मसे।

१. डाककी मुहरसे।

२. पत्रकी विषय-वस्तुसे यह स्पष्ट है कि यह १९२८में लिखा गया होगा; देखिए “प्रेम महाविद्यालय", ८-३-१९२८।