पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/१२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९१
युद्धके विरूद्घ

ध्यानसे की गई पैरवीका लाभ मिल जायेगा । आजकल निर्धनोंके लिए श्रेष्ठ वकीलों और डाक्टरोंकी सलाह अप्राप्य है ।

हृदयसे आपका,

श्री डब्ल्यू० बी० स्टार
मैनेजर
हाइलैंड स्प्रिंग्स फॉर्म
सिस्को, टेक्सस, (सं० रा० अ० )

अंग्रेजी (एस० एन० १४२५४) की फोटो--नकलसे ।

९५. पत्र : सतीशचन्द्र दासगुप्तको

६ मार्च,१९२८

प्रिय सतीशबाबू,

आपका पत्र मिला । प्रस्ताव अच्छे तो लगते हैं। मुझे आशा है कि उनपर अमल किया जायेगा। ऐसे खादी प्रेमियों अथवा खादीके लिए पैसा लेकर काम करनेवालोंको, जो खादी भी न पहनते हों सदस्य बननेकी इजाजत देनेकी बात मैं पसन्द नहीं करता ।

सस्नेह,

बापू

अंग्रेजी (जी० एन० १५८६) की फोटो--नकलसे ।

९६. युद्धके विरुद्ध युद्ध

एक पत्र-लेखक लिखते हैं :

में यह इसलिए लिख रहा हूँ कि युद्धके सम्बन्ध में सत्य और अहिंसा के अनुयायीके रूपमें अपनी 'आत्मकथा' के अध्यायमें आपने जो मत व्यक्त किया है उससे बहुतसे लोगोंके विचारोंमें हलचल पैदा हो गई है। मुझसे ज्यादा काबिल लोग शायद आपको इस सम्बन्धमें लिखेंगे। परन्तु कुछ पहलुओंको, जो मेरे दिमागमें आये हैं, मैं सामने रखना चाहता हूँ। क्या यह मूलभूत सिद्धान्त नहीं है कि सत्य और अहिंसाके सच्चे पुजारीको बुरी चीजोंमें हाथ नहीं डालना चाहिए, चाहे वह उनका प्रतिरोध न कर सके। जैसा कि कुछ लोग कहते हैं युद्ध एक आवश्यक बुराई है, परन्तु इस आशासे कि युद्धके बाद संसारको युद्ध छेड़नेकी बुराईका आभास होने लगेगा, उक्त