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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खुद अपने-आप व्यवस्थित होनेके लिए या फिर उनपर ही छोड़ देना चाहिए जिनका खादीपर कोई जीवन्त विश्वास नहीं है। यदि हम विदेशी धागेके इस्तेमालमें उलझ गये तो आप देखेंगे कि हम अपना सिद्धान्त ही छोड़ बैठेंगे। मैं चाहता हूँ कि आप इसपर अच्छी तरह विचार करें और यदि चाहें तो आप अपनी सहायता और अपना काम खादीके वितरण तक ही सीमित रखें। हमारी अपनी मिलें, यदि वे चाहें, और यदि उनमें राष्ट्रीय भावना आ जाये तो इसमें शामिल हो सकती हैं। परन्तु वहाँ भी हमारी संस्थाको बहुत ही सावधान रहना होगा।

मुझे प्रसन्नता है कि हेमप्रभादेवी, निखिल और तारिणी गिरिडीह गये हैं। मुझे हेमप्रभादेवीका बहुत निराशाजनक पत्र मिला है। उसके स्वयं अस्वस्थ होनेकी सूचना मिली है। कृपया मुझे उसकी हालतकी बाबत सब कुछ बताइयेगा ।

हृदयसे आपका
बापू

अंग्रेजी (जी० एन० १५८७) की फोटो--नकलसे ।

१०६. पत्र: एडा एस० स्कडरको

आश्रम
साबरमती
१० मार्च,१९२८

प्रिय बहन,

अपने भवनके उद्घाटन समारोहके सिलसिले में श्रीमती गांधीको और मुझको याद करनेके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। मैं बताना चाहता हूँ कि कोई ऐसा अस्पताल या कोई ऐसी संस्था नहीं है, जहाँका कोई कक्ष मेरे नाम पर हो । यदि कहीं हो, तो वह धोखाधड़ी है। जब कि इस निमित्त देनेके लिए मेरे पास एक पैसा भी नहीं है तब कोई कक्ष मेरे नामपर हो हो कैसे सकता है। यदि मैं अपने मित्रोंको कक्षों या बिस्तरोंके निमित्त दान देनेके लिए प्रोत्साहित कर सकूं तो वह उनके नामपर होना चाहिए। परन्तु ऐसा कोई व्यक्ति मेरे ध्यानमें नहीं आता जिसे मैं अस्पताल कक्षके लिए दान देनेको कह सकूं। मेरा सारा प्रभाव उन्हें चरखेके लिए, तथाकथित अछूतोंकी संस्थाओं या सृष्टिके निरीह प्राणी गायके लिए दान देनेके लिए कहनेमें लग जाता है।

कुमारी एडा एस॰ स्कडर
वेल्लोर

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १३०९३) की फोटो--नकलसे ।