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यह कैसे करें ?

इसका अभिप्राय होगा सब ओरसे ईमानदारी, अध्यवसाय, पारस्परिक विश्वास, मजदूरों, पूंजीपतियों और उपभोक्ताओंके बीच स्वेच्छापूर्वक और सम्मानयुक्त तिहरा संगठन इसका अभिप्राय होगा बहुत बड़े पैमानेपर संगठनकी शक्ति । और यदि हमें अहिंसाके जरिये विदेशी कपड़ेका बहिष्कार करना है तो मैंने जो मापदण्ड अभी बताये हैं, किसी-न-किसी दिन उन्हें निबाहना होगा।

मेरी विनम्र सम्मतिमें हम इस कामको कर सकनेके लिए पूरी तरहसे योग्य हैं। इसके लिए जो संगठन अपेक्षित है वह हमारे लिये नया नहीं है। सवाल केवल यही है कि क्या हममें इसके लिए इच्छाशक्ति है ? क्या मिल-मालिकोंमें पर्याप्त दूरदर्शिता, पर्याप्त देश-प्रेम है ? यदि है तो वे इस रास्तेके अगुआ बन सकते हैं।

मैं अपने विश्वासकी फिरसे घोषणा करता हूँ । बहिष्कारको शीघ्र सफल बनाने के लिए खादी और सच्ची स्वदेशी मिलोंमें मेल होना अभीष्ट तो है, परन्तु बिलकुल अनिवार्य नहीं है। मैं 'सच्ची स्वदेशी' शब्दका प्रयोग इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि भारतमें नकली मिलें हैं। वे इस अर्थमें भारतीय हैं कि वे भारतमें स्थित हैं, परन्तु उनके हिस्सेदार उनके प्रबन्धक और उनकी भावना यदि पूरी तरह नहीं तो मुख्य रूपसे विदेशी हैं। परन्तु यदि स्वदेशी मिलें राष्ट्रीय आन्दोलनका नेतृत्व न कर सकें या न करें या इसमें भाग न लें तो भी मुझे विश्वास है कि यदि राजनीतिक विचारोंवाले भारतीयोंमें इस कार्यके लिए अपेक्षित इच्छा-शक्ति, विश्वास और स्फूर्ति हो तो अकेली खादी ही बहिष्कारको सफल बना सकती है। हमारे पास स्टीम इंजन, आयल इंजन या बिजलीकी काफी शक्ति नहीं है, परन्तु हमारे पास मानव-शक्तिका कभी समाप्त न होनेवाला भण्डार बेकार पड़ा है, जो प्रयोगमें लाये जानेकी पुकार कर रहा है और वह इस कामके लिए विशेष रूपसे उपयुक्त है। काश! हममें इस जीवन्त शक्तिको देख सकने और इसे प्रयोगमें ला सकने वाली श्रद्धा होती ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १५-३-१९२८

१२१. यह कैसे करें ?

इन पृष्ठों में पश्चिमी खानदेश जिला मण्डलका उल्लेख, जिसके संस्थापक अध्यक्ष और देवात्मा-तुल्य संरक्षक श्रीयुत शंकरराव देव हैं, पहले ही हो चुका है। इस मण्डलका प्रमुख कार्य ग्रामोंका पुननिर्माण है। इस मण्डलको विश्वास हो गया है। है कि यदि पुननिर्माण कार्यको आगे बढ़ना है, और जन-समुदायकी बेहद गरीबी में सहायक होता है, तो पुननिर्माण कार्य से सम्बन्धित हर कार्यका केन्द्र बिन्दु कताई ही होना चाहिए । मण्डलका सारा काम जितना सुचारु रूपसे हो सकता है, किया गया है। श्रीयुत एस० वी० ठक्कर पुननिर्माण कार्यके लिए किसी गाँवमें जमकर बैठने से पहले कुछ समय तक स्वयंको उसमें प्रशिक्षित करते रहे हैं। वे श्रीयुत बाल भाई मेहताके साथ उन केन्द्रोंमें घूमते रहे हैं, जिनमें ऐसे काम किये जा रहे हैं। उन्होंने