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पत्र : एन० डी० भोसलेको

इस बातकी है कि व्यक्ति अपना जीवन सही ढंगसे बितायें और अपने जीवनके द्वारा अपने परिवेशको प्रभावित होने दें।

हृदयसे आपका,

[ श्रीमती वायलेट द्वारा ]
श्रीमती लिली मुथुकृष्णा
४४५ हेमडन लेन
वेलावेट्टी
कोलम्बो
लंका

अंग्रेजी (एस० एन० १३११०) की फोटो--नकलसे।

१३०. पत्र: एन० डी० भोसलेको'

साबरमती
१७ मार्च, १९२८

प्रिय मित्र,

अब मुझे श्री जयकरका पत्र मिल गया है और इससे मुझे मालूम हुआ है कि सर पुरुषोत्तमदास अब अध्यक्ष नहीं रहे । बहरहाल उन्होंने मुझे यह राय भेजी है।

उनकी रायमें यह योजना लाभदायी है। उन्होंने आपको एक सावधानी बरतने का सुझाव दिया है कि आप जो भी सहायता देना चाहें, यदि यह चन्दा इकट्ठा करनेके रूपमें हो, तो इसके साथ यह शर्त होनी चाहिए कि पैसा लगाने या बाँटनेके रूप में इसका अधिकार कुछ एक उन लोगोंके हाथमें रहे जो आपकी अपनी पसन्दके हों और जिनकी ईमानदारी और निर्णयात्मक बुद्धिपर पूरी तरह विश्वास किया जा सके। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि योजनाके सारे समाजके लिए लाभदायक होने की बड़ी जबर्दस्त सम्भावना है और इसे आपके समर्थनकी जरूरत है। फिलहाल पदाधिकारियोंके पास केवल कुछ एक सौ रुपये की निधि है और जब तक उसमें वृद्धि न की जाये संस्थाके लिए अपना काम शुरू करना कठिन हो जायेगा।

इससे, जैसा कि मैं अबतक सुझाव देता रहा हूँ यह निष्कर्ष निकलता है कि उपयुक्त न्यासपत्र होना चाहिए । अब मैं आपको केवल यह सुझाव दे सकता हूँ कि

१. यह पत्र श्री भोसलेकी बम्बई में दलित वर्गके विद्यार्थियोंके लिए होस्टल चलानेकी योजनाके सम्बन्धमें लिखा गया था। बादमें इसकी एक प्रति “पत्र : बबन गोखलेको”, २२-१२-१२२८ के सहपत्रके रूपमें भेजी गई थी। देखिए खण्ड ३८।