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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
जब सेठ जमनालालजी बम्बई आयें तो उनसे मिलें। सेठ जमनालालजी दो या तीन दिनमें बम्बई आयेंगे। मैं सारे कागजात उन्हें दे रहा हूँ और यदि वह न्यासके बारेमें सन्तुष्ट हो जायें तो मैं कुछ कर सकनेकी स्थितिमें होऊँगा ।
हृदयसे आपका
मो॰ क॰ गांधी
जयकरके निजी कागजात, पत्र-व्यवहार फाइल सं॰ ४२२ ।
सौजन्य : नेशनल आर्काइन्ज ऑफ इंडिया
१३१. तार : मथुरादास त्रिकमजीको
[१७ मार्च, १९२८][१]
समाचारपत्रोंकी खबर बिलकुल झूठ है। मेरा अच्छा है।
[ गुजरातीसे ]
बायुनी प्रसादी
१३२. पत्र: मथुरादास त्रिकमजीको
[ १७ मार्च, १९२८ ][१]
अभी तुम्हारा तार मिला। इस बार तो समाचारपत्रोंने जुल्म ही किया है, उनके ऊपर मुकदमा चलाना चाहिए। पर असहयोगी ठहरे इसलिए क्या कर सकते हैं? मुझे कुछ भी नहीं हुआ है।
[गुजरातीसे]
बयुनी प्रसादी