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२९२. पत्र: हेमप्रभादेवी दासगुप्तको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
२१ अप्रैल, १९२८

प्रिय भगिनी,

पत्र मील गया है। आस्ते आस्ते ही काम लेना बहोत परिश्रम उठानेकी कोई आवश्यकता नहि । निखिलकी तबीअत खराब होनेसे थोडासा भी गभराहट में नहि पडना । और जब जब गभराहट आ जाय तब तब इस श्लोक जो हम हमेशा गाते हैं उसका याद करना ।

दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः वीतरागमयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते ।।[१]

बापूके आशीर्वाद

श्रीमती हेमप्रभादेवी

रूबी लॉज
डा० बरगण्डा
गिरिडीह

ईस्ट इंडियन रेलवे

जी० एन० १६५६ की फोटो-नकलसे।

२९३. तार : डबलडे डोरन कं० को

[२१ अप्रैल, १९२८ के पश्चात् ]

[२]

'यूनिटी' तथा मैकमिलनके प्रकाशक रेवरेंड होम्ससे, जिनके पास पूरी पुस्तक के प्रकाशनके अधिकार हैं, बात कीजिए ।

अंग्रेजी (एस० एन० १४७४५) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. भगवद्गीता, अप्याय २, श्लोक ५६ ।
  2. डबलडे डोरन कं० ने २१ अप्रैलके अपने समुद्री तार द्वारा आत्मकथाका अमेरिकी संस्करण छापनेको अनुमति मांगी थी।