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पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

गंगाबहनका स्वास्थ्य न तो पहलेसे अच्छा है और न ही बुरा। पिछले दो दिनसे उन्हें थोड़ा बुखार है । कलकत्ता वाला रोगी दस दिन पहले चला गया था। आजकल श्री कोठारी दार्जिलिंगमें हैं।

हृदयसे आपका,

कुमारी एलिजाबेथ नडसन

द्वारा डा० थीरानन्दानी
'न्यू टाइम्स' बिल्डिंग

कराची

अंग्रेजी (एस० एन० १३२०१) की फोटो-नकलसे ।

२९७. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

आश्रम
साबरमती
२२अप्रैल, १९२८

तुम्हें शायद यह सुनकर दुःख होगा कि मैंने इस साल यूरोप न जानेका निश्चय कर लिया है। विभिन्न निमन्त्रणोंके जवाबमें मेरा जाना जरूरी नहीं था, परन्तु मैंने यह महसूस किया कि यदि सार्वजनिक हितके लिए रोमाँ रोलांने मेरा उनसे मिलने आना उचित समझा तो मैं जाऊँगा और इसके साथ ही यूरोपसे आये निमन्त्रणोंको भी निभा लूंगा। अब उनका प्रत्याशित पत्र आ गया है। इसकी एक प्रति मैं तुम्हारे पास भेज रहा हूँ ताकि तुम मेरे निश्चयको अधिक अच्छी तरह समझ सको। रोलाँकी इस बातपर हिककिचाहट कि मैं खास करके उनसे मिलनेके लिए यूरोप जाऊँ जाहिर करती है कि एक कलाकारके नाते और मेरे सन्देशके व्याख्याता होनेके नाते उनको मेरा यहाँके आवश्यक कार्योंको छोड़कर उनसे मिलने यूरोप जाना उतना जरूरी नहीं मालूम देता । और चूंकि मुझे जानेके लिए कहने अथवा जानेके मेरे प्रस्तावको स्वीकार करनेकी उनके भीतरसे कोई आवाज नहीं आती, मैं समझता हूँ कि यदि उनको लिखे मेरे पत्रमें सच्चाई है, अर्थात् जानेका निश्चय करनेका कारण उनसे मिलना भर है, तो मुझे उनके पत्रको अपनी प्रार्थनाके फलस्वरूप मिलनेवाला ईश्वरीय निर्देश मानना चाहिए। ज्यों-ज्यों दिन गुजरते जाते थे रोज-ब-रोज मैं यूरोप जानेसे उदासीन होता जाता था और इसलिए अपने मनको कठोर बनाता जा रहा था और यह भी अनुभव कर रहा था कि यूरोपको देनेके लिए मेरे पास कुछ नहीं है जबकि मेरे पास यहाँ बहुत कुछ करनेको है। आश्रमके लिए तो मेरी आवश्यकता निरन्तर बनी ही रहती है। यह बात मेरे दिमागमें दिन-ब-दिन साफ होती जा रही है कि यदि मैं आश्रमके प्रति, जो कि मेरी सर्वोत्तम कृति है, न्याय करना चाहता हूँ तो मुझे, यदि मैं