रखनेकी बात आजकल चल रही है। अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। किन्तु मैं मानता हूँ कि आश्रममें न रह सको तो कहीं दूसरे स्थान पर तुम्हारा प्रबन्ध करने में कोई कठिनाई नहीं होगी ।
मगनलालका पटनामें देहान्त हो गया है ।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती (एस० एन० ९७१०) की फोटो-नकलसे ।
३०९. पत्र : सन्तोक गांधीको
[ २३ अप्रैल, १९२८के पश्चात् ]
चि० सन्तोक,
सेठ घनश्यामदास बिड़ला केशुको लेनेके लिए तैयार हैं, इसलिए उसकी चिन्ता न करना । ईश्वर उसका भला ही करेगा। तुम सब काममें लीन हो जाओ। अपने स्वास्थ्यका खयाल रखना ।
मुझे पत्र लिखते रहना।
बापूके आशीर्वाद
सौजन्य : राधाबहन चौधरी
३१०. पत्र : तुलसी मेहरको
साबरमती आश्रम
[ २३ अप्रैल, १९२८ के पश्चात् ]
भाई तुलसी मीहार,
मगनलालके लीए जैसा लीखते हो वैसा ही है। हम सब और भी ज्यादा जाग्रत बने । तुमारे काममें भरती ओटसे [३] सुख दुख नहीं मानना परंतु जीतना हो सके उतना निष्काम भावसे करना ।
जी० एन० ६५३४की फोटो-नकलसे ।