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३११. तार : दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंको

[१]

२४ अप्रैल, १९२८

स्वास्थ्य अच्छा । शास्त्रीका सन्तोषजनक उत्तर [२] मिला । मगनलालका कल देहान्त हो गया ।

बापू

अंग्रेजी (एस० एन० ११९७७) की फोटो-नकलसे ।

३१२. पत्र : जवाहरलाल नेहरूको

आश्रम
साबरमती
२४ अप्रैल, १९२८

प्रिय जवाहर,

तुम्हारा पत्र मिला । निस्सन्देह तुम्हें मालूम ही होगा कि मगनलालकी मृत्युसे मेरे ऊपर बहुत बड़ा दुःख आ पड़ा है। यह लगभग असहनीय ही है; पर मैं साहससे इसका सामना कर रहा हूँ ।

मैंने वह प्रस्ताव नहीं पढ़ा है, जिसमें कांग्रेससे 'शान्तिपूर्ण और उचित साधनों को निकालकर 'जो सम्भव हों ऐसे सभी साधनोंसे' शब्दोंको रखनेको कहा गया है। स्वतन्त्रताको मैं गलेसे नीचे उतार सकता हूँ पर "सभी साधनों को नहीं, पर मैं समझता हूँ कि हमें अपना पेट हर प्रकारके जहरको पचा लेने लायक मजबूत बना लेना होगा । फिर भी मुझे आशा है कि तुमसे कोई भी तुम्हारी इच्छा और शक्तिसे बाहर कोई काम न करा सकेगा ।

अब यह बिलकुल साफ हो गया है कि मिल-मालिक कांग्रेससे एक सौदा करना चाहते हैं। पर मुझे इन असफल वार्ताओंका दुःख नहीं है। उन्होंने आगेके लिए रास्ता साफ कर दिया है।

  1. यह समुद्री तार दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंके इस तारके उत्तरमें दिया गया था: "स्वास्थ्यको सूचना दें" ।
  2. अपने लम्बे समुद्री तारमें शास्त्रीने लिखा था कि १९१४ के समझौते के समय जो मतैक्य हुआ था उसे कोई चुनौती नहीं दी जायेगी और दक्षिणी आफ्रिकी मन्त्री जान बूझकर अपने पुराने वायदोंसे मुकरेंगे नहीं। शास्त्रीके समुद्री तारके पाठके लिए देखिए परिशिष्ट २ ।