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पत्र : जुगलकिशोरको

आये, पर फिर भी यह बात कितनी आश्चर्यजनक जान पड़ती है कि यद्यपि हम दूसरे तमाम लोगोंकी अपेक्षा कत्तिनोंका कहीं अधिक प्रतिनिधित्व करते हैं, पर हमारे कार्यकर्ता उनके बहुत ही कम सम्पर्क में आते हैं। हम उनके बहुत ही निकट सम्पर्क में मले न आयें और भले ही उनके बारेमें उतना अधिक न जानें, जितना हम अपनी सगी बहनोंके बारेमें जानते हैं, फिर भी हमें कमसे कम इतना तो जानना ही चाहिए कि जो हमें अपना सूत मुहैया करती हैं, वे कौन हैं और कहाँ रहती हैं। इसलिए मैंने कहा कि जिनका सूत बाजारमें आता है, हमें उनमें से हरएकके नाम और निवास स्थानका पता लगाना चाहिए। कमसे-कम हमें उनसे इतना मामूली सम्पर्क तो रखना ही चाहिए। इसके लिए सतीशबाबू द्वारा अपनी पुस्तकमें वर्णित विवरणात्मक रजिस्टरकी आवश्यकता नहीं है। वे स्वयं भी फेनी बाजारमें सूत खरीदते समय इस रजिस्टरको लागू करनेमें सफल नहीं हुए। उनका रजिस्टर अतराई डिपोपर जहाँ उन्होंने पहली बार कतैयोंको तैयार किया और उनके साथ सम्पर्क बनाया, पूरी तरह काममें आता था और अब भी आता है । तथापि सबसे अधिक सूत उन्हें फेनी बाजारसे मिलता है। अतः मेरा रजिस्टर एक प्रकारसे जनगणना रजिस्टर है, जो या तो एकबारगी हमेशाके लिए तैयार कर लिया जाये अथवा समय-समयपर उसमें संशोधन किया जाता रहे। इसलिए आप देखेंगे कि मेरे बताये आसान तरीकेमें आपको अपने सुझाये अनुसार कर्मचारी रखनेकी जरूरत नहीं है।

यह शिकायत तो किसीने नहीं की कि गांधी आश्रम यह सूची नहीं देता। मैं समझता हूँ कि मैंने धीरेन द्वारा दिये गये इस तर्कपर गौर किया है कि प्रत्येक कतैयेको ढूंढ़ पाना कठिन है और मैंने इस तर्कका समाधान करते हुए इस कठिनाईसे निकलनेका तरीका बताते हुए लिखा है। धीरेनने जिस कठिनाईका जिक्र किया है, औरोंने भी उसका जिक्र किया है। यह सामान्यतः सबकी कठिनाई है; और अब धीरे-धीरे सभी उस कठिनाईको दूर करते जा रहे हैं ।

मैं आपकी इस बातसे पूर्णतः सहमत हूँ कि कत्तिनोंसे जीवन्त सम्पर्क स्थापित करनेके लिए हमारे पास स्त्री कार्यकर्त्री भी होनी चाहिए । शान्तिदेवीसे कहें मैं चाहूँगा कि वे इस कामकी शुरुआत करें ।

अब आपकी योजनाके बारेमें लिखता हूँ। उसकी सामान्य रूपरेखा मुझे पसन्द है। मैं नहीं जानता कि आप उसे किस हद तक कार्यान्वित कर सकेंगे, क्योंकि अन्ततः आपको ऐसे ईमानदार और योग्य शिक्षक चाहिए जो अपने कामको जानते हों। अभी हमारे पास ऐसे लोग बहुत अधिक नहीं हैं। फिर भी आप अपनी योजना बनाकर पहले जमनालालजीको निजी तौरपर भेज दें और देखें कि वह उन्हें कितनी पसन्द आती है।

कृपया मुझे बतायें कि भारत आजकल वहाँ क्या कर रहा है और विद्यार्थियों में कताई कैसी चल रही है।

इस समय तक आपको मगनलालकी मृत्युका समाचार मिल गया होगा।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १३२०४) की फोटो-नकलसे ।