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एक सन्देश

खर्चके सम्बन्धमें कोई दिक्कत नहीं होगी तथा आप मेरे आमन्त्रण पर भारत आ रहे हैं।

मैं यह बिलकुल नहीं चाहता कि आप नवम्बर या दिसम्बरसे पहले यहाँ आयें। इसका कारण केवल यह है कि इससे पहले यहाँ गर्मीका मौसम होता है और लगभग अक्तूबरके अन्त तक गर्मी पड़ती रहती है।

आप देखेंगे कि मैंने यूरोपकी अपनी प्रस्तावित यात्रा रद कर दी है; कारण 'यंग इंडिय [१]ा में विस्तारसे दे दिये गये हैं। यदि मेरा स्वास्थ्य ठीक रहा तो अगले वर्ष मेरा यूरोप आना निश्चित ही है। इसके कारण आपके कार्यक्रममें कुछ परिवर्तन हो सकता है। परन्तु मैं नहीं चाहता कि आप अपने भारत आगमनको स्थगित करें, क्योंकि मेरी यह इच्छा है कि आप स्वयं अपनी आँखोंसे भारतको देखें और अपनी कल्पनाके भारतसे इसकी तुलना करें। इसलिए यदि आप किसी भी तरह आ सकते हों तो मैं चाहूँगा कि यूरोपकी मेरी प्रस्तावित यात्राके बावजूद मी आप अवश्य आयें ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १४३०२) की फोटो-नकलसे ।


३३०. एक सन्देश

[२]

साबरमती
२७ अप्रैल, १९२८

हृदयसे आपका,

ईश्वर सत्य है । सत्यकी प्राप्तिका पथ सभी जीवधारियोंकी स्नेहपूर्ण सेवासे होकर जाता है। मो० क० गांधी अंग्रेजी (एस० एन० १४२६३) की फोटो-नकलसे ।

  1. देखिए “यूरोपीय मित्रोंसे", २६-४-१९२९ ।
  2. सन्देश गांधीजीने अपने स्वाक्षरोंमें वर्मोण्ट विश्वविद्यालय, बलिंगटनके एन० क्लार्कको, जो वाई० एम० सी० ए० की राजकीय समितिके सचिव भी थे, भेजा था ।