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पत्र : लाजपतरायको

जिसके कारण वे सम्बन्ध स्थापित हो सके हैं जो पहले असम्भव थे या जिनके बारेमें सोचा भी नहीं जा सकता था। बहरहाल यह तो प्रसंगवश ही कह गया; आपको महज एक प्रासंगिक विषय द्वारा खादीके पक्षमें प्रभावित करनेके लिए नहीं लिखा गया है।

इसलिए मुझे प्रसन्नता है कि आप इस विषयका गम्भीर अध्ययन कर रहे हैं। मुझे इस बातकी भी प्रसन्नता है कि आपने किसी निर्णयपर शीघ्र न पहुँचनेका दृढ़ निश्चय कर रखा है। अन्तमें आपका जो भी निर्णय हो मैं चाहूँगा कि आप उसके बारेमें उसी तरह दृढ़ रहें जैसे कि अस्पृश्यताके बारेमें हैं। तथाकथित सनातनियों या किसी अन्यके द्वारा अस्पृश्यताके विरोधमें दिया गया कोई भी तर्क आपको अपनी वर्तमान स्थितिसे विचलित नहीं कर सकता। इसलिए मैं चाहूँगा कि किसी भी निर्णयपर पहुँचनेसे पहले आप समस्याका पूरी तरह अध्ययन कर लें।

मुझे खादी के लिए आपकी जरूरत है। मुझे मालूम है कि इसमें कितना लाभ होगा। परन्तु मैं आपको ऐसे संरक्षकके रूपमें नहीं चाहता, जिसके प्रमाण-पत्रका मैं अपने लाभके लिए उपयोग करूं। मैं आपको ऐसे साथी कार्यकत्र्ताकि रूपमें चाहता हूँ, जो अपनी स्थितिसे विचलित न हो और अपनी योग्यता-भर खादीके हितके लिए काम करे। इसलिए फिलहाल मैं चाहूँगा कि अध्ययनके बाद आपके मनमें कुछ सन्देह हो तो, इससे पहले कि आप कोई निर्णय कर लें मुझसे इस विषयपर चर्चा कर लें । मुझसे या दूसरे लोगोंसे जो खादीके विरोधी हों आप पत्र-व्यवहार अवश्य जारी रखिए, परन्तु मैं चाहूँगा कि आप प्रतिज्ञा करें कि उस आलोचनाके सम्बन्धमें, जो आपको विश्वसनीय और अकाट्य लगे, मुझसे चर्चा करनेसे पहले आप कोई निश्चय न करें । मैं आपको यह आश्वासन दे दूं कि खादी आन्दोलनमें ऐसे लोग हैं, जिन्होंने विषयका पूरा अध्ययन किया है और यदि उन्हें पता चले कि जिन पूर्वगृहीत तथ्योंपर वे चले हैं उनका कोई आधार नहीं है, तो वे एक क्षणका संकोच किये बिना खादीको छोड़ देंगे।

हाँ, मुझे जो सबसे बड़ा आघात लग सकता था वह निस्सन्देह मगनलालकी मृत्यु है। परन्तु स्वतन्त्रता संग्राममें अपने प्रियतम व्यक्तिके बिछुड़ जानेपर भी आँसू बहानेका समय कहां है।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १३५९७) की फोटो-नकलसे ।