पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/३३४

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३३८. पत्र : रविशंकर महाराजको

मौनवार, ३० अप्रैल, १९२८

भाईश्री रविशंकर,

तुम भाग्यवान हो । जो कुछ खानेको मिले उससे सन्तुष्ट हो जाते हो, गर्मी- सर्दी तुम्हारे लिए एक बराबर है और चिथड़े मिलें तो उनसे ही अपना शरीर ढक लेते हो और अब सबसे पहले जेल जानेका सौभाग्य भी तुम्हें ही मिला है। यदि ईश्वर अदला-बदली करने दे और तुम उदारता दिखाओ, तो मैं अवश्य ही तुम्हारे साथ अपनी अदला-बदली कर लूं।

तुम्हारी और देशकी जय हो ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी० डब्ल्यू० २९३५) से ।
सौजन्य : रविशंकर महाराज

३३९. पत्र : ताराबहन जसवानीको

साबरमती
सोमवार [ ३० अप्रैल, १९२८]

[१]

चि० तारा, तुम्हारा पत्र मिला। मैं घूमने जाता हूँ, उस समय रोज तुम्हारी याद आती है। अपने स्वास्थ्यका खूब ध्यान रखना। अपने सभी व्रतोंका पालन करना । मुझे पत्र लिखते रहना। मगनलालके बारेमें तो सुना ही होगा। 'नवजीवन' तो बराबर लेती हो न ? चि० दीवालीको आशीर्वाद । तुम्हारे दूसरे प्रश्नोंको देखकर, फिर किसी समय उनका जवाब दूंगा। बापूके आशीर्वाद

चि० ताराबहन धीरजलाल जसवानी

द्वारा भाई मोहनलाल खण्डेरिया

वाँकानेर

गुजराती (जी० एन० ८७८०) की फोटो-नकलसे ।

  1. डाकको मुद्दरसे ।