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३४३. भाषण : अहमदाबादमें, बाल-भवनके उद्घाटनपर

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१ मई, १९२८

इस बाल-भवनका उद्घाटन ऐसे व्यक्तिके द्वारा किया जाना, जो अपने आपको मजदूर कहता है, शायद बिलकुल उचित ही है। मैं आपके सामने यह स्वीकार कर लूँ कि जब सेठ कस्तूरभाई मेरे पास यह निमन्त्रण लाये तो मैंने यह निमन्त्रण बड़े संकोच सहित स्वीकार किया । सो इसलिए नहीं कि मुझे इसका उद्देश्य पसन्द न रहा हो परन्तु इसलिए कि मैं बहुत व्यस्त था । यदि आपने किसी दूसरे व्यक्तिसे जो मुझसे ज्यादा पात्र होता, विशेषकर किसी मिल-मालिकसे, इस समारोहका आयोजन करवाया होता तो मुझे बहु प्रसन्नता होती । परन्तु सेठ कस्तूरभाईके प्रति सम्मान-भावनाके कारण मुझे झुकना पड़ा।

अहमदाबादमें आश्रमकी स्थापना करते समय मेरे मनमें उसका महत्व गुजरातकी राजधानी या उसके एक व्यस्त वाणिज्य केन्द्र होनेके कारण नहीं था। मेरे लेखे महत्वपूर्ण बात केवल यह थी कि अहमदाबाद कपड़ा उद्योगका केन्द्र है। मैंने अनुभव किया कि मैं मिल एजेंटोंकी सहायता पर निर्भर रह सकता हूँ और शहरकी कुछ सेवा कर सकता हूँ। मैं आज यह खुशीसे कह सकता हूँ कि मेरी ये आशाएं बिलकुल ही मिथ्या सिद्ध नहीं हुई हैं। यदि मुझे मिल-मालिकोंके साथ अपने सम्बन्धोंके कटु अनुभव याद आते हैं तो कई मधुर स्मृतियाँ भी मेरे मनमें हैं। मैं अहमदाबादसे अभी तक निराश नहीं हुआ हूँ। मैं अब भी इससे बड़ी-बड़ी आशाएँ लगाये बैठा हूँ। अभी इसे बहुत कुछ करना बाकी है। मैं स्वयं मजदूर और एक ऐसे व्यक्तिके रूपमें बोल रहा हूँ जिसने श्रमिक वर्गकी अन्तरकी अनुभूतियोंमें गहरेसे-गहरे जानेकी कोशिश की है। मैं कहता हूँ कि अहमदाबादको दूसरी चीजोंके साथ श्रमिक वर्गकी दशा सुधारनेके बारेमें अभी बहुत कुछ करना है।

इस स्थानके श्रमिकोंके साथ मेरा सम्बन्ध कलका नहीं है। यह बहुत पुराना है; तबसे है जब में पहली बार इस शहरमें आया था। और मैं आपसे बेहिचक कहता हूँ कि आपने श्रमिक वर्गके प्रति अपना कर्त्तव्य-पालन नहीं किया है। किन्हीं मामलोंमें तो श्रमिकोंके लिए जीवनकी सामान्य सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं की गई हैं। बहरहाल कुछ अपवाद हैं। कुछ मिल-मालिकोंने इस दिशामें कुछ प्रयत्न किया है। प्रस्तुत प्रयत्न ऐसा ही एक उदाहरण है।

सेठ कस्तूरभाईने, मिल मजदूरोंके कल्याणके सम्बन्धमें अभी आपके सामने जो भाव व्यक्त किये हैं, उससे सेठ कस्तूरभाई और अहमदाबाद नगरकी साखका परिचय मिलता है। सेठ कस्तूरभाईको पोर्ट सनलाइटसे बड़ी प्रसन्नता हुई और यह ठीक भी

  1. रायपुर मेनुफेक्चरिंग कम्पनीके एजेंट कस्तूरभाई लालभाईने गांधीजीसे बाल भवनका उद्घाटन करनेकी प्रार्थना की थी।