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नियम-पालनकी आवश्यकता

बाल-भवनमें भेजना चाहेगा? हमारा प्रयत्न होना चाहिए कि हम ऐसी स्थिति लायें जिसमें मिल-मजदूरोंके बच्चेको अपनी माँसे न बिछुड़ना पड़े और मजदूरके बच्चेको शिक्षाके वही अवसर मिलें जो हमारे बच्चोंको मिलते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १०-५-१९२८

३४४. पत्र : अब्बास तैयबजीको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
२ मई, १९२८

प्रिय भुर्ररर,

मेरी ओरसे कोई पत्र न आनेपर आपकी आशंका सही है। [१]ईश्वर महान् मंगलमय, यहाँ तक कि दयालु भी है ।

मैं बारडोलीकी घटनाओंका अध्ययन कर रहा हूँ। आप जो कुछ कहते हैं। वल्लभभाई उसके प्रत्येक शब्दके योग्य हैं। आप यह विश्वास करके खुश न हो कि यदि सरकार आपको अपने मेहमानके रूपमें आमन्त्रण देगी, तो वह आपको साबरमतीमें रखेगी। आश्रम साबरमतीके अतिथि-गृहसे [२] अत्यधिक समीप पड़ जायेगा ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० ९५६३) की फोटो-नकलसे ।

३४५. नियम-पालनकी आवश्यकता

कुछ खादी कार्यकर्ता लिखते हैं :[३]

यहाँ पर स्पष्ट ही आदशोंके बारेमें भ्रान्ति है। ऊँच-नीचके विकृत खयालोंसे प्राय: सभी राष्ट्रीय संस्थाओंमें अनुशासनहीनता आ गई है। बहुतसे लोग सोचते हैं कि पद-भेदको हटानेका अर्थ अराजकता और उच्छृंखलता है। जब कि पदको हटानेका

  1. मगनलाल गांधी की मृत्युके बाद गांधीजीने अब्बास तैथवजीको कोई पत्र नहीं लिखा था।
  2. अब्बास तैयबजीने, जो उस वक्त बारडोली संघर्ष में वल्लभभाई पटेलकी सहायता कर रहे थे, रविशंकरके कैद किये जाने और उनपर अभियोग चलाये जानेका विवरण देते हुए अपने केंद किये जानेको सम्भावनाका उल्लेख किया था।
  3. यहाँ नहीं दिया जा रहा है। कार्यकर्ताओंने शिकायत की थी कि यद्यपि उनसे यह अपेक्षा को जाती है कि वे ठोक वक्तपर कार्यालय में उपस्थित हों, स्वयं सचिव ठीक वक्तपर हाजिर नहीं होते। उन्होंने पूछा था "उसी एक क्षेत्रके कार्यकर्ताओं में यह छोटेपन और वहप्पनका भाव वर्षो रहना चाहिए ?”