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३५६. पत्र: मीराबहनको

[ ९ मई, १९२८]

[१]

चि० मीरा,

तुम्हारा पत्र मिला । यदि तुमने बादमें पूरी तरह सावधानी बरती हो तो ठंडे पानीसे स्नान करने में कोई चिन्ताकी बात नहीं है। जिन परिस्थितियोंका तुमने जिक्र किया है उनमें स्नान करना लगभग अनिवार्य था । भविष्यमें यह याद रखना उचित रहेगा कि ऐसी परिस्थितियों में स्पंज करना ज्यादा अच्छा रहता है। प्यारेलालसे कहना कि वह मुझे पत्र लिखे। छोटेलालने अपना काम सँभाल लिया है।

बापू

अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ५३०२) से ।

सौजन्य : मीराबहन

३५७. मिलोंका कपड़ा बनाम खादी

एक मित्रके पत्रका सारांश यह है :

कई एक कांग्रेसी आजकल खादीके साथ-साथ स्वदेशी मिलके कपड़ोंके इस्तेमालका भी समर्थन कर रहे हैं। स्वदेशी मिलोंके कपड़ोंको भी कांग्रेसकी खादोकी दुकानों में रखनेका आन्दोलन चल रहा है। आप क्या इस विषयपर अपना मत साफ-साफ व्यक्त नहीं करेंगे ? मुझे तो आपका मत मालूम है, किन्तु कांग्रेसके सारे कार्यकर्त्ता तो उससे वाकिफ नहीं हैं। वे आपका मत जानना चाहेंगे और खासकर इसलिए कि आपने हाल ही में कई लेखोंमें यह लिखा है कि विदेशी-वस्त्रके बहिष्कारके आन्दोलनमें स्वदेशी मिलें क्या हिस्सा ले सकती हैं।

खादीके बारेमें कांग्रेसके प्रस्ताव बिलकुल स्पष्ट हैं। इसलिए जो उनका पालन करना चाहते हैं, उनके लिए स्वदेशी मिलोंके कपड़ेको त्याग देनेके सिवाय दूसरा रास्ता है ही नहीं। किन्तु यह जमाना तो अराजकताकी वृद्धिका है। इस जमानेमें

  1. डाकको मुहरसे ।