पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/३५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२३
पत्र : ई० बियरमको

सुधार सको तो वैसा करना । कूनेके किसी व्यक्तिको मैं जानता नहीं हूँ। यदि उसका पता-ठिकाना तुम्हें मालूम हो जाये तो जो वह दूसरोंके लिए करता है वह तुम्हारे लिये भी करेगा। मेरे साधारण पत्रोंका उपयोग तो तुम कर ही सकते हो ।

तुम दोनोंके लिए

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी० एन० ७५४०) की फोटो-नकलसे ।

३६१. पत्र : ई० बियरमको

आश्रम
साबरमती
१० मई, १९२८

[१]

मैं आज आपके प्रश्नोंका उत्तर देनेकी कोशिश करता हूँ ।

आप आश्रमकी प्रार्थनाके सम्बन्धमें जो कुछ कहती हैं वह ज्यादातर सही है। अब भी यह प्रार्थना औपचारिक और निष्प्राण-सी है। परन्तु मैं इस प्रार्थनाको इस आशामें जारी रखे हुए हूँ कि यह सजीव बन जायेगी। चाहे पूर्व हो या पश्चिम मानव-स्वभाव लगभग एकसा है। इसलिए मुझे इसमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ कि आपको पूर्वकी प्रार्थनामें कोई खास चीज नहीं मिली और आश्रमकी प्रार्थना सम्भवतः कुछ पूर्वी और कुछ पश्चिमी चीजोंकी खिचड़ी है। क्योंकि मुझे पश्चिमसे कोई अच्छी चीज लेने में या पूर्वकी कोई बुरी चीज छोड़ देनेमें कोई पूर्वाग्रह नहीं है, इसलिए अनजाने ही हमारी प्रार्थनामें दोनोंका मिश्रण हो गया है। सामूहिक जीवनके लिए सामूहिक प्रार्थना जरूरी है और इसलिए उसकी कोई विधि भी जरूरी है। किन्तु, उस कारणसे उसे आडम्बरपूर्ण या हानिकारक नहीं समझा जा सकता। यदि ऐसी सामूहिक प्रार्थनाका नेता कोई अच्छा आदमी हो तो सभाका सामान्य स्तर भी अच्छा होता है। ऐसी सामूहिक प्रार्थनामें यदि लोग शुद्ध मनसे आते हैं और उसमें सजग बुद्धिसे भाग लेते हैं तो उसका आध्यात्मिक प्रभाव निस्सन्देह महान होता है। सामूहिक प्रार्थनाका उद्देश्य व्यक्तिगत प्रार्थनाका स्थान लेना नहीं है। व्यक्तिगत प्रार्थना जैसा कि आपने ठीक ही कहा है हृदयसे की जानी चाहिए और उसमें औपचारिकता कभी नहीं आनी चाहिए। उसी स्थितिमें आप अनन्तके साथ सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। सामूहिक प्रार्थना उसमें सहायक होती है। क्योंकि मनुष्य सामाजिक प्राणी है, और जबतक वह अपना सामाजिक दायित्व नहीं निभाता ईश्वरका साक्षात्कार नहीं कर सकता। और प्रार्थना सभामें आनेका दायित्व सम्भवतः सर्वोपरि है। यह सारे समूहके लिए आत्मशुद्धिका साधन है। परन्तु ऐसी सभाएँ यदि कोई ध्यान न रखे तो

  1. ऐसा लगता है कि यह पत्र १० मईको, बोलकर लिखवाया गया था और अगले दिन संशोधन करनेके बाद भेजा गया था।