पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/३५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सभी मानवी संस्थाओंकी तरह औपचारिक और यहाँ तक कि आडम्बरपूर्ण बन जाती हैं। हमें ऐसे तरीके सोच निकालने चाहिए जिनसे औपचारिकता और आडम्बरसे बचा जा सके। सब मामलोंमें और खासकर आध्यात्मिक मामलोंमें अन्तमें तो व्यक्तिकी अपनी रुचि ही बलवती सिद्ध होती है।

वहाँ जो हाजिरी भरी जाती है वह भी सामान्य कोटिकी नहीं है। यह दैनिक यज्ञके परिणामोंका अंकन है। हरएक बताता है कि उसने क्या काता है । कताईमें यज्ञ-भावना निहित है। इसके पीछे यह भाव है कि लाखों लोगोंकी सेवा द्वारा ईश्वरका साक्षात्कार किया जाये। कोई भी दिन ऐसा नहीं होना चाहिए जबकि समूहका प्रत्येक पुरुष या महिला सदस्य यह न स्वीकार करे कि उसने अपनी प्रतिज्ञाके अनु- सार दैनिक यज्ञका अनुष्ठान किया है या नहीं किया है। इसलिए प्रार्थना के अन्तमें यह कोई हिसाब-किताब पर उतर आनेकी बात नहीं है, यह तो प्रार्थनाका समुचित समापन है। यह कार्य सभाके आरम्भमें नहीं किया जाता क्योंकि जो देरीसे पहुँचे उन्हें अपना यज्ञ दर्ज करनेका अवसर मिलना चाहिए। यह भी याद रखिये कि यह यज्ञ छिपाकर करनेका नहीं है। यह खुलेमें किये जानेके लिए है।

मेरे विचारमें ईसाई धर्म या ईसाका सन्देश, कृष्ण, बुद्ध, मुहम्मद और जरतुश्तके सन्देशोंकी तरह मनुष्यकी एक बुनियादी आवश्यकताकी पूर्ति करता है । यद्यपि ये सन्देश अलग-अलग स्थानोंपर और अलग-अलग समयपर दिये गये थे; उनका सार्व- भौमिक महत्व भी है। समयकी आवश्यकताओं के अनुसार इनमें से प्रत्येक सन्देश एक चीज पर दूसरीसे अधिक महत्व देता है। धार्मिक व्यक्तिको इन सब सन्देशोंसे लाभ उठाने में कोई संकोच नहीं होगा और वह अपनी रुचिके अनुसार किसी एक सन्देशसे दूसरेकी अपेक्षा ज्यादा आश्वासन प्राप्त करेगा ।

मेरा यह भी विश्वास है कि सच्ची कला नैतिक कार्यों और प्रभावोंके छिपे हुए सौन्दर्यको देखनेमें है और इसलिए ऐसा बहुत कुछ, जिसे कला और सौन्दर्यकी संज्ञा दी जाती है, वह न सम्भवतः कला ही है और न सौन्दर्य ।

मैं समझता हूँ कि अब मैंने आपके सारे प्रश्नोंका उत्तर दे दिया है। यदि मुझसे कुछ रह गया हो तो आप कृपया मुझे स्मरण दिलाइये और यदि कहीं मेरी बात समझमें न आई हो या मैंने अनजाने कोई बात टाल दी हो तो आप मुझे फिरसे लिखने में संकोच मत कीजियेगा ।

आप दोनोंको मेरा प्यार [१],

हृदयसे आपका,

श्रीमती ई० वियरम

यूनाइटेड थ्योलॉजिकल कालेज

बंगलोर

अंग्रेजी (एस० एन० १३२२१ और १५३६५) की फोटो-नकलसे |

  1. देखिए खण्ड ३४, पृष्ठ १७४-५ ।