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६. सन्देश : अहमदाबादकी सार्वजनिक सभाको'

३ फरवरी, १९२८

मैं आशा करता हूँ कि यह सभा कोई निश्चित कार्य करनेका निश्चय किये बिना नहीं उठेगी। कांग्रेस कमेटीने हमें इस तरह का काम सौंपा है। यदि हम विदेशी कपड़ेका बहिष्कार जैसा निश्चित काम भी नहीं कर पायेंगे तो हमारी हँसी होगी ।

[ गुजरातीसे ]
प्रजाबन्धु, ५-२-१९२८

७. पत्र : रामेश्वरदास पोद्दारको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
महा शुदी १४ [४ फरवरी, १९२८]

भाई रामेश्वरजी,

तुमारे पत्र आते हि रहे हैं और हर लखतमें तुमारे लीये शांतिकी याचना कर लेता हुं ।

हकीमजीके स्मरणार्थ पैसे भेजे अच्छा कीया ।

धीरे धीरे प्रयत्नसे सत्य और अहिंसाका दर्शन होता जायगा । श्वसुर भंगी है। तो उस पर दया रखना और मौका मीलनेसे उनको बूरी आदतोंसे छुड़वानेकी कोशीश करना । आजकलकी परिस्थि [ ति ] में जब बालविवाह इ०की बूरी चाल चल रही है ऐसे अयोग्य संबंधोंका बनना अनिवार्य है।

वर्धा जानेकी जमनालालजीकी राय बिलकुल ठीक है और बाबुको वर्धा आश्रममें रखनेकी बात भी मुझे प्रिय है।

बापूके आशीर्वाद

जी० एन० १९३ की फोटो-नकलसे ।

१. इस सभाका आयोजन साइमन कमीशनके प्रति विरोध व्यक्त करने के लिए तथा बनारसमें सर्वदलीय सम्मेलन द्वारा पास किये प्रावका समर्थन करनेके लिए किया गया था। सन्देश वल्लभभाईने पढ़कर सुनाथा था।

२. हकीम अजमलखाँके स्मारकके उल्लेखसे । हकीम अजमलखांकी मृत्यु दिसम्बर, १९२७में हुई थी।