पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

११. पत्र: ना० र० मलकानीको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
८फरवरी,१९२८

प्रिय मलकानी,

तुम्हारा पत्र मिला। मैं इस बातका खयाल रखूंगा कि 'यंग इंडिया के अगले अंकमें तुम्हारी टिप्पणियाँ छप जायें । ओ अंक आज छप रहा है, उसके खयालसे तो वे काफी देरसे मिली थीं।

यदि तुम अस्पृश्यता निवारण-कार्यके लिए तैयार हो, तो मैं भी तुम्हें उसमें लगानेको बिलकुल तैयार हूँ। तुम्हारा वहाँका काम खत्म होते ही हम इस कार्यकी योजनाओं और परिचालन-विधियोंके बारेमें बातचीत करेंगे ।

मेरे स्वास्थ्यके बारेमें मिलनेवाली खबरोंसे चिन्तित न होना । डाक्टरके परीक्षण-यन्त्र जरूर चिन्ताजनक अनुमान निकालते हैं, और इसीलिए मैं पूरी तरहसे आराम करनेको सहमत हो गया हूँ । इसलिए मुझे जितना पत्र-व्यवहार करनेकी इजाजत मिली है, सो मैं बोलकर लिखा देता हूँ। लेकिन खुद मुझे ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य में कोई खास खराबी नहीं है। इसमें सन्देह नहीं कि मैं कमजोर हूँ, लेकिन यह तो पुरानी शिकायत है।

हृदयसे तुम्हरा,
बापू

अंग्रेजी(जी॰एन॰८८२) की फोतो-नकलसे।

१२. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
८ फरवरी, १९२८

प्रिय चार्ली,

आशा है कि मेरे स्वास्थ्यकी खबरोंसे तुम घबरा नहीं गये होगे। जहाँतक मैं समझ सकता हूँ, उसमें न तब कुछ था और न अब कुछ है। फिर भी चूंकि डाक्टर खुद डरे हुए हैं, मैं सभी एहतियात बरत रहा हूँ और पूरा-पूरा आराम ले

१. देखिए "सिन्ध में बाढ़ सहायताका काम", १६-२-१९२८ ।