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हड़ताल के बाद ?

मैं आशा करता हूँ कि शाकाहार आपके स्वास्थ्यके अनुकूल पड़ रहा है। यदि न पड़ रहा हो, तो आप मुझे जरूर लिखिए कि आप क्या खा रही हैं। मैं शायद आपको कुछ निर्देश दे सकूँ ।

हृदयसे आपका,

श्रीमती एल० सी० उन्नी
लक्ष्मी विलास, कालीकट

अंग्रेजी (एस० एन० १३०६६) की फोटो-नकलसे ।

१४. पत्र : घनश्यामदास बिड़लाको

८ फरवरी,
१९२८

भाई घनश्यामदासजी,

आपका पत्र मिला। हजम होनेवाले कुछ तेलके पदार्थ बन सकते हैं। परन्तु दूर बैठकर यह प्रयोग नहीं हो सकता है। आज तो केवल उपवास ही आपके लिये अत्यावश्यक और अति उत्तम उपाय है। इस बारेमें मुझको कुछ संदेह नहीं है।

आपका,
मोहनदास

सी० डब्ल्यू० ६१५४ से।
सौजन्य : घनश्यामदास बिड़ला


१५. हड़तालके बाद ?

मैं अब तक अपने आपको 'स्टेच्यूटरी कमीशन के बहिष्कारके बारेमें प्रायः कुछ भी लिखनेसे बहुत सोच-समझकर और बहुत ही आत्म-संयमसे रोके हुए था। इलाहाबादके पत्र 'लीडर'ने मुझसे अपील की थी कि मैं बहिष्कार आन्दोलनमें न पहूँ, उस सिलसिलेमें लोगों पर प्रभाव न डालूं और विभिन्न दलवाले लोगोंको आप ही उसे सँभालने दूं। यह बात मेरी समझ में आ गई कि मेरे बीचमें पड़नेसे जनता आन्दोलनमें जरूर और जोर-शोरसे आगे आयेगी; और आन्दोलनके उन्नायक शायद इससे परेशानी में पड़ जायें । मगर अब चूँकि हड़तालका भारी प्रदर्शन खत्म हो गया है, मैं समझता हूँ, मैं कुछ कह सकता हूँ। मैं प्रबन्धकोंको हड़तालके दिनको महान् सफलताके लिए बधाई देता हूँ। उदारदल, इंडिपेंडेंट दल, और कांग्रेसवालोंको एक साथ

१. ३ फरवरी, १९२८ ।