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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसके सम्बन्धमें दृढ़ताके साथ कोई दावा नहीं किया जा सकता। यदि पूरे भरोसेके साथ निश्चित रूपसे कोई बात इसके बारेमें कही जा सके तो वह खुद शान्तिका एक बहुत ही अद्भुत वस्तुपाठ होगा। लेकिन मैं दोनों ही पत्रोंको विचार करनेके लिए रखे हुए हूँ। मैं यह भी देखूंगा कि रक्तचाप कैसा चलता है; और इस बीच यदि मेरी अन्तरात्माकी आवाजने जानेके पक्षमें कुछ प्रोत्साहित किया तो मैं हाँ कहनेमें संकोच नहीं करूंगा ।

यूथ मूवमेंट निश्चय ही एक आकर्षण है।

मुझे श्रीमती ब्रॉकवेका पत्र पाकर खुशी हुई। मैं उन्हें सीधे ही लिख रहा हूँ ।

हृदयसे आपका,

श्री ए० फेनर ब्रॉकवे
जनरल अस्पताल
मद्रास

अंग्रेजी (एस० एन० १४९४३) की फोटो-नकल से ।

२०. पत्र : लीला ब्रॉकवेको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
११फरवरी,१९२८

प्रिय बहन,

यह आपकी कृपा है जो आपने मुझे पत्र लिखा । मद्रासमें रहते हुए यदि मैं आपके पतिके पास जानेका समय न निकाल पाता, तो मैं स्वयं अपनेको कोसता । कांग्रेस अधिवेशनमें उन्हें अपने बीच न पाकर यहाँ हम सबको बड़ी ही निराशा हुई थी, लेकिन यह बड़ी खुशीकी बात हुई कि वे, और गाड़ीमें सफर कर रहे उनके साथी, बाल-बाल बच गये ।

श्री ब्रॉकवेकी बहनने जब आपके समुद्री तारकी बात उन्हें बताई तो उनकी आँखें गीली हो गईं। यह देखकर मेरे दिलपर बहुत असर हुआ । मानवीय स्नेहकी ऐसी सहज अभिव्यक्तियाँ हमें ईश्वरके और करीब ले जाती हैं।

आप इन दिनों कभी भारत आनेका प्रयत्न जरूर करें। बोलकर लिखवाये गये इस पत्रके लिए आप क्षमा करेंगी, क्योंकि डाक्टरोंने मुझे लेटे रहनेकी सलाह दे रखी है।

हृदयसे आपका,

श्रीमती लीला ब्रॉकवे

अंग्रेजी (एस० एन० १४२३७) की फोटो-नकलसे ।