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२१. पत्र: हैरॉल्ड एफ० बिंगको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
११ फरवरी, १९२८

प्रिय मित्र,

श्री फेनर ब्रॉकवेके जरिये मुझे आपका अत्यन्त प्रेमयुक्त हार्दिक निमन्त्रण मिला । कितना अच्छा होता कि मैं आपसे तुरन्त 'हाँ' कह सकता, लेकिन कुछ मूलभूत कठिनाइयाँ हैं जिनके बारेमें मैंने श्री ब्रॉकवेसे चर्चा की है। फिर भी मैं आपका निमन्त्रण अपने पास रखे ले रहा हूँ और अपने मनपर उसका पूरी तरहसे असर होने दूंगा; यदि मैं उसे स्वीकार करनेका कोई साफ रास्ता देख सका, तो मैं आपको इसके सम्बन्धमें फिर लिखूंगा ।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

श्री हैरॉल्ड एफ० बिंग
ब्रिटिश फेडरेशन ऑफ यूथ
४२१, सेंटीनल हाउस
साउथैम्पटन रॉ
लन्दन, डब्ल्यू० सी० १

अंग्रेजी (जी० एन० १०१५ और ३७७०) की फोटो-नकल से।

२२. बारडोली ताल्लुकाके प्रतिनिधियोंसे बातचीत'

[ १२ फरवरी, १९२८ से पूर्व ]

कल्याणजीने बातचीत शुरू की और गांधीजीको बताया कि हमने लगभग सारे ताल्लुकेमें अपना काम कर लिया है। जहाँ तक संघर्षका सवाल है सारा ताल्लुका एकमत है, लेकिन हम पुराने लगानके ऊपरकी जो अतिरिक्त बढ़ोतरी है, उसकी अदायगी करनेसे इनकार करना पसन्द करेंगे।

गांधीजी : मैं इसे ठीक तरहसे नहीं समझ पा रहा हूँ ।

१.बारडोली ताल्लुकाके प्रतिनिधि सरदार वल्लभभाई पटेल्के, जो बारडोली सत्याग्रहका नेतृत्व करने वाले थे, कहनेपर गांधीजीसे सलाह लेने गये थे।