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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कल्याणजी : २२ प्रतिशत की बढ़ोतरी लागू की गई है। लोग कहते हैं कि वे पुराना लगान अदा करना चाहेंगे और इस २२ प्रतिशत बढ़ोतरीको देने से इनकार करेंगे।

यह तो बहुत ही जोखिमका काम है। फिर तो सरकार आपके ही पैसेकी मददसे आपसे संघर्ष करेगी और पल-भरमें बढ़ोतरी वसूल कर लेगी। जबतक बढ़ोतरी रद नहीं कर दी जाती, कोई लगान अदा नहीं किया जा सकता; आपको सरकारसे साफ कह देना चाहिए “लगानकी बढ़ोतरी रद घोषित कीजिए और तब फिर पुराना लगान जिसे देनेको हम तैयार हैं,"वसूल कीजिए। क्या लोग ऐसा रुख अपनानेको राजी है?

मैं बारडोली या वालोड जैसी बड़ी जगहोंके बारेमें काफी निश्चित रूपसे नहीं कह सकता, क्योंकि इन जगहोंके बनिये स्वभावतः डरते हैं कि सरकार उनकी जमीनोंकी बेदखली करके कहीं उन्हें फिरसे उन रानीपरज लोगोंके नामपर न कर दे, जिनके हाथमें वे पहलेसे थीं। लेकिन अन्य गाँव काफी मजबूत हैं।

सो तो ठीक है। लेकिन क्या उनका हेतु न्यायोचित है और उनका मामला अकाट्य है ?

निश्चय ही है। नरहरिभाईने अपने लेखोंमें यह बात दिखा दी है।

सो मैं नहीं जानता। मैंने वे लेख ध्यानसे नहीं पढ़े हैं। लेकिन याद रखिये कि आपको सारे देशको अपने साथ रखना है तो पहली शर्त यह है कि आपका हेतु बिलकुल न्यायोचित होना चाहिए। फिर एक चीज और भी है। हो सकता है कि लोग संघर्षके लिए तैयार हों। लेकिन क्या वे सत्याग्रहके परिणामोंको जानते हैं ? मान लीजिए कि वल्लभभाई बाकीके आप सब लोगोंसे दूर हटा दिये जाते हैं,तब भी क्या सब लोग एक साथ मिलकर खड़े होंगे ?

यह तो मैं जितना कह सकता हूँ, उससे कुछ ज्यादा हो जायेगा।

कुछ भी हो, आपको इसका निश्चय करना होगा। वल्लभभाई क्या कहते हैं ?

श्रीयुत वल्लभभाई उसी वक्त पहुँचे थे। उन्होंने कहा कि मैंने मामलेका अध्ययन किया है और मुझे कोई सन्देह नहीं कि हेतु न्यायोचित है।

गांधीजीने कहा कि ठीक है; फिर तो कुछ और सोचनेको नहीं है। गुजरात की विजय हो ।

[ अंग्रेजीसे ]
द स्टोरी ऑफ बारडोली