पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२३. पत्र : रिचर्ड बी० ग्रेगको

आश्रम
साबरमती
१२फरवरी,१९२८

प्रिय गोविन्द,

तुम्हारा पोस्टकार्ड मिला। मुझे खुशी कि अब तुम्हें बहुत लम्बे समय तक पूना नहीं रहना होगा। मेरी सेहत सुधरती मालूम दे रही है; डाक्टरोंका ऐसा खयाल है। खुद मुझे तो लगता है कि मेरी सेहत गिरी ही नहीं है। हाँ मेरा वजन जरूर कम हो गया था, लेकिन वह तो मैंने जान-बूझ कर किया था। यह नहीं हो सकता था कि मैं फलों और मेवोंके आहार पर लौट जानेका कठिन प्रयोग करता और वजन भी न घटता। लेकिन अब मैं वह प्रयोग बेहतर लोगोंके संरक्षणमें कर रहा हूँ और डाक्टर देखभाल कर रहे हैं। इसलिए यह थोड़ी-सी बीमारी शायद लाभदायक ही है; इसने मेरे लिये आराम करना लाजमी बना दिया है, जिसकी शायद मुझे जरूरत थी।

मैंने सिन्धमें कताईसे सम्बन्धित तारीखके संशोधनको समझ लिया है।

हृदयसे आपका

अंग्रेजी (एस० एन० १३०७१) की फोटो-नकलसे ।

२४. पत्र : श्रीमती हारकरको

आश्रम
साबरमती
१३ फरवरी,१९२८

प्रिय बहन,

आपका पत्र मिला । आश्रममें २०-३० रु० से ज्यादा खर्च नहीं होना चाहिए । लेकिन यह बात सोच लेना ज्यादा जरूरी है कि आप आश्रमका रहन-सहन बर्दाश्त कर सकेंगी या नहीं। अब तक आप जिन सब चीजोंकी आदी रही हैं उन सबसे वह इतना अलग है कि आपके आश्रम जीवन अपनानेकी बात सोचकर मुझे घबराहट होती है और अब देशके इस हिस्से में सर्दीका मौसम लगभग बीत चुका है। यहाँ दोपहरके बाद तो गर्मी पड़ने ही लगी है और मुझे आशंका है कि आप साबरमतीकी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकेंगी। कभी-कभी तापमान ११२, यहाँ तक कि ११५ तक जाता है। साबरमती भारतके सबसे ज्यादा गर्म स्थान जकोबाबादसे बहुत ज्यादा दूर