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सम्पूर्ण गांधी

वे सरकारके विरुद्ध संघर्षमें खुद नेता न बनें तो भी उन्हें कमसे-कम सच्चे और अटल अनुयायी तो जरूर ही बनना चाहिए। जिस बहादुरीसे उन्होंने राष्ट्रकी पुकार सुनी है, उसी बहादुरीसे वे उसके परिणाम भी झेलें। वे अपनेको जलील न बनायें,जिन स्कूलों और कालेजोंसे वे बाहर कर दिये गये हों, उन्होंमें फिर प्रवेश पानेकी कोशिश करके अपने स्वाभिमानको न कुचलें। अगर पहली ही परीक्षामें वे झुक गये तो उनकी यह बहादुरी बहादुरी न कहलाकर शेखी बघारना कहलायेगी।

मैंने सुना है कि हड़तालके कुछ दिनों पहले विद्यार्थियोंने विलायती कपड़े छोड़ दिये थे और बड़े पैमाने पर खादी अपनाना शुरू कर दिया था। उनके बारेमें यह कहनेका मौका नहीं आना चाहिए कि यह तो एक क्षणिक तमाशा था और बाहरी दबाव या आन्तरिक प्रलोभनके वश होकर उन्होंने खादीको भी उतनी ही जल्दी छोड़ दिया है, जितनी जल्दी विलायती कपड़ा छोड़ दिया था। मेरे निकट तो विदेशी कपड़ा इस देशके लिए विदेशी सरकार जैसा है। अच्छा होता कि इस बातको सभी लोग स्वतः स्पष्ट मान लेते ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १६-२-१९२८

२८. मेरा स्वास्थ्य

मेरे स्वास्थ्यके कारण बहुतसे मित्रोंको चिन्तित होना पड़ता है, यह मेरे लिये बड़े ही दुःखकी बात है। अबतक महादेव देसाईको मेरे स्वास्थ्यके बारेमें जो चाहते थे मुझे दिखा लेनेके बाद लिखने दिया जाता था; क्योंकि जब कभी मेरा स्वास्थ्य बिगड़ा है, चाहे उसमें कुछ खास बात हो या नहीं सफरके दरम्यान ही बिगड़ा है। उसका कारण अधिक थकानको ही माना जाता रहा है और चूंकि मेरी यात्राओंके दौरान मेरे स्वास्थ्यकी एक जिम्मेवारी मेरी देखभाल करनेवाले लोगोंकी होती थी, उन्हें इसलिए भी लिखने दिया जाता था। मगर परिस्थिति अब बदल गई है। इस समय मुझे सफर और महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक कामोंसे फुरसत है। गुजरातकी केवल कुछ गतिविधियों, खासकर राष्ट्रीय शिक्षा सम्बन्धी गतिविधियों, जिनके लिए शायद मैं ही विशेष रूपसे जवाबदेह हूँ, के ही पुनःसंगठनमें में भाग ले रहा हूँ और वह भी, जितना चाहता हूँ उतना ही। इसलिए आहार-सम्बन्धी जिन प्रयोगोंका शौक मुझे शुरूसे ही रहा है अब मैंने उन्हें करना जरूरी समझा और उन्हें करने लगा। मेरे लिये तो वे भी उतने ही महत्वके हैं जितने कि मेरे दूसरे वे बहुत महत्वपूर्ण काम,जिनमें मैं समय-समय पर मशगूल रहा हूँ। इस बार इन्हीं प्रयोगोके दौरान स्वास्थ्य बिगड़ा है। डाक्टरोंके यन्त्रोंमें जो शंकाजनक बातें दिखलाई दी है, मेरे मनमें वैसी कोई बात नहीं आती। मगर मैंने डाक्टर मित्रोंकी यह बात मान ली है कि बहुधा रक्तचापके रोगीको कोई बुरे प्रभाव दिखाई नहीं पड़ते और वे शरीरमें छिपे तो