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पत्र : बी० डब्लू० टकरको

प्रतिरोध अच्छाईसे करो। और फिलहाल अगर ऐसा लगता है कि मैं सक्रिय रूपसे बुराईका प्रतिरोध नहीं कर रहा हूँ तो यह केवल आभास मात्र ही है। यदि आप 'भगवद्गीता 'के नियमित पाठक हैं तो आपको यह श्लोक याद आ जायेगा कि देखता वही है “जो अकर्ममें कर्म देखता है और कर्ममें अकर्म ।” और कुछ इस तरहकी या इसीसे मिलती जुलती अंग्रेजीकी कहावत भी तो है कि "वह भी सेवा करता है जो प्रतीक्षा करता है और प्रार्थना करता है। " बहरहाल आज मेरी स्थिति बिलकुल ऐसी ही है। आप कदापि यह न सोचें कि यदि बहिष्कार आन्दोलन तकका रास्ता मुझे साफ दिखाई दे तो मैं क्षणभरके लिए भी चुप बैठा रहूँगा । परन्तु मेरे सामने रास्ता साफ नहीं है। किसी भी दिन यह साफ हो सकता है। जैसा कि मैंने 'यंग इंडिया 'के पृष्ठोंमें समय-समयपर निर्दिष्ट किया है। मैं चाहता हूँ कि प्रसिद्ध कार्यकर्ताओंका बहिष्कारमें जीवन्त विश्वास होना चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है कि और किसी भी प्रकारका बहिष्कार सफल नहीं हो सकता। मुझे इस बातमें भी इतना ही विश्वास है कि यदि इस कामको पर्याप्त बल मिले तो यह बहिष्कार अवश्य सफल होगा। कलकत्ता में जो बहुत बड़े-बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं, वे अपनी जगहपर ठीक हैं, परन्तु मेरे लेखे वे योग्यरूपसे ठीक नहीं हैं। उनके पीछे वास्तविकता नहीं है। लाभ तो उनका भी है, लेकिन वे मुझे कर्मठ सिपाहीके नाते उत्साहित नहीं कर सकते !

आशा है कि मैं अपनी बात साफ तरहसे रख पाया हूँ । यदि बात साफ न हुई हो तो कृपया मुझे फिरसे लिखियेगा। क्योंकि मैं इस बात के लिए उत्सुक हूँ कि आप मुझे और मेरे आन्दोलनको पूरी तरह समझ लें ।

हृदयसे आपका

रेवरेंड बी० डब्ल्यू० टकर
कॉलिन्स हाईस्कूल
१४० धर्मतल्ला स्ट्रीट
कलकत्ता

अंग्रेजी (एस० एन० १३०८४) की फोटो--नकलसे ।

१. अध्याय ४, इलोक १८ ।