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५४. पत्र : वाई० भास्करको

आश्रम
साबरमती
२५ फरवरी,१९२८

प्रिय बहन,

आपका पत्र मिला। बड़ा खेद है कि मुझे डाक्टरोंने कड़ी हिदायत दी है कि मैं कोई नया बोझ, चाहे वह कितना ही हलका क्यों न हो, अपने ऊपर न लूं और जो मौजूदा जिम्मेदारियाँ हैं उन्हें भी जितना ज्यादासे-ज्यादा कम कर सकूँ, कर दूं। इसलिए इन परिस्थितियों में मैं आपकी प्रार्थनाको स्वीकार नहीं कर रहा हूँ ।

हृदयसे आपका,

कुमारी वाई० भास्कर
वीमेन्स क्रिश्चियन टेम्परेन्स यूनियन
७४२, पेटिट हॉलके पास
पूना

अंग्रेजी (एस० एन० १३०८७) की माइक्रोफिल्मसे ।

५५. पत्र : जी० रामचन्द्रन्को

आश्रम
साबरमती
२५ फरवरी,१९२८

प्रिय रामचन्द्रन,

मैंने महादेवको भेजा हुआ आपका तार खोल लिया है। चूंकि मुझे महादेव और आपके बीचके पत्र-व्यवहारकी कोई जानकारी नहीं है, इसलिए मैं इस तारपर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा हूँ । आजकल महादेव बारडोलीमें है। वह हदसे-हद सोमवार तक यहाँ लौट आयेगा । तब वह मुझे आपके तारके बारेमें सब बातें बतायेगा और मैं समुचित कार्रवाई करूंगा।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत रामचंद्रन्
नाराणत ताईक्काड
त्रिवेन्द्रम्

अंग्रेजी (एस० एन० १३५८९) की माइक्रोफिल्मसे ।