पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/८८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

५६. पत्र : रेवाशंकर झवेरीको

साबरमती
२५ फरवरी, १९२८

आदरणीय रेवाशंकरभाई,

आज डाक्टर मुथुका तार मिला। उसके सम्बन्ध में मैंने तार' भेजा है, मिल गया होगा। अब यदि चि० धीरू आ गया हो तो डाक्टर मुथुको आ जानेके लिए तार देनेकी बात मुझे तो मानने लायक लगती है। उनका यह कहना तो बिलकुल ठीक है कि जाँच किये बिना कुछ निश्चय नहीं किया जा सकता । डाक्टर मुथुकी फीस कितनी है यह तो मुझे खबर नहीं है, पर जैसे भी हो उसे बर्दाश्त कर लेना ही ठीक लगता है।

मेरी तबीयत ठीक रहती है। अभी तो डाक्टर बिछौनेपर रखेंगे ही। आपकी तबीयत अच्छी होगी ।

ठाकुर साहबके अनुरोध पर यहाँसे उनके पशुओंकी परीक्षा करनेके लिए तथा शास्त्रीय ढंगकी खुराक बतानेके लिए भाई पारनेकरको भेजा है, उन्हें इस शास्त्रका ज्ञान है।

मोहनदासके प्रणाम

गुजराती (जी० एन० १२७२) की फोटो-नकलसे ।

५७. गायको कौन छुड़ायेगा ?

ब्रह्मभट्ट जातिका लगभग ७० वर्षका एक बूढ़ा सज्जन जो चार शादियाँ कर चुका है किन्तु जिसकी चारों स्त्रियोंका स्वर्गवास हो चुका है, अब फिरसे अपना घर चलाने और पुत्र पानेके लिए पाँचवाँ विवाह करनेका इच्छुक है। उनकी १५ सालकी एक लड़की है; लड़का कोई नहीं है। लड़कीका विवाह हो चुका है। ये सज्जन स्वयं विलायतकी यात्रा भी कर चुके हैं और पहले गायकवाड़के राज्यमें अच्छे ओहदे पर थे। मोतियाबिन्दके कारण आँखें चली गई हैं। अब यह बहु-विवाहित बूढ़ा इस ताकमें है कि कौनसा निदर्य बाप अपनी बेटी बेचनेको तैयार होता है। इस भाँति कसाईके घर जानेवाली गायको बचानेके हेतु ब्रह्मभट्ट जातिके कई जवान प्रयत्न कर रहे हैं। उनमें से एकने उसे इस कामसे रोकनेके लिए पत्र लिखा था। उसके

१. उपलब्ध नहीं हैं।