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६६. पत्र : के० नरसिंह आयंगारको

आश्रम
साबरमती
२७फरवरी,[१९२८]

प्रिय मित्र,

आपके १८ तारीखके पत्रके सन्दर्भमें मैं प्रबन्धकको सूचित कर रहा हूँ कि वे आपको बदलेमें 'यंग इंडिया' भेज दें। मैंने वह परिशिष्ट नहीं देखा जो आप कहते हैं आपने भेजा है।

आपके लिए मेरा सन्देश है कि एक भारतीय पत्रिकाको भारतसे बाहर दुगुनी सावधानी बरतनेकी आवश्यकता है। मुझे आशा है कि आपकी पत्रिका लोगोंकी, फिर वे कहीं भी क्यों न रह रहे हों बुरी रुचियाँ उभारनेके बजाय सामाजिक एवं नैतिक सुधारके लिए दुदृढ़तापूर्वक डटी रहेगी और प्रवासियोंको यह दिखायेगी कि यह उनका कर्त्तव्य है कि वे जिस भूमिमें प्रवास करें वहाँ सर्वोत्तम भारतीय संस्कृतिका प्रतिनिधित्व करें और कमसे-कम खद्दरको स्वीकार करके अपने एवं मातृभूमिके बीच सम्बन्ध बनाये रखें ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत के० नरसिंह आयंगार
प्रबन्ध सम्पादक
'दि तमिल नेशन'
२१२ बाटू रोड, कुआललम्पुर
(एफ० एन०यू०)

अंग्रेजी (एस० एन० १४२५१) की फोटो--नकलसे ।



१. यह १८ जनवरी, १९२८के पत्रके उत्तरमें लिखा गया था।