पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/१०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


न कीजिए कि आप मुझसे क्या अपेक्षा रखते हैं या मुझसे क्या करवाना चाहते हैं। अगर मुझे आपकी बात ठीक लगेगी और आप जो-कुछ करने को कहेंगे वह मेरे बसमें होगा तो आप भरोसा रख सकते हैं कि मैं वह अवश्य करूंगा।

हृदयसे आपका,

मौलाना शौकत अली
सुलतान मैन्शन
डोंगरी, बम्बई

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४६५) की फोटो-नकलसे।

 

८६. पत्र: विट्ठलभाई पटेलको

१८ जुलाई, १९२८

भाईश्री विठ्ठलभाई,

तुम्हारा पत्र मिला। यह पत्र तुम तक पहुँचनेके पहले ही परिणामका[१] थोड़ा-बहुत पता तो हमें चल ही जायेगा। मैंने इस बारेमें रविवारको वल्लभभाईसे पूरी तरह विचार-विमर्श कर लिया था।

चाहे जो परिणाम निकले तुम रंगून अवश्य हो आओ। हमारा काम ऐसे ही चलना चाहिए।

मोतीलालजीसे तुम्हारे सम्बन्ध बने हुए हैं यह अच्छी बात है।

यात्रा के दौरान मुझे पत्र तो लिखते ही रहना। मैंने रंगूनमें मगनलाल प्राणजीवनदासको लिखा है। तुम उन्हींके यहाँ तो ठहरोगे न?

मोहनदासके वन्देमातरम्

[पुनश्च:]

तुम हर माह जो पैसा भेजते हो उसे फिलहाल इकट्ठा ही होने दो। यदि कोई बात सूचित करने लायक जान पड़े तो लिखना।

तुम्हारी अनुमतिके बिना मैं उन पैसोंका उपयोग नहीं करना चाहता; ब्याज तो चढ़ेगा ही।

मोहनदास

गुजराती (एस॰ एन॰ १४४५२) की फोटो-नकलसे।

 

  1. बारडोलीके सत्याग्रहका।