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८७. पत्र : हरिभाऊ उपाध्यायको

साबरमती आश्रम,
१८ जुलाई, १९२८

भाई हरिभाऊ,

इसके साथका पत्र पढ़ लेना। इस मामलेकी जाँच करना और भाई कमलाकरको सीधे उत्तर दे देना।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ६०६१) की नकलसे।

सौजन्य: हरिभाऊ उपाध्याय

 

८८. दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंके लिए

दक्षिण आफ्रिकी भारतीय कांग्रेस, जोहानिसबर्गके मन्त्रीने निम्न तार भेजा है:

प्रमार्जन योजना (कन्डोनेशन स्कीम) स्वीकृत। संघमें अवैध रूप से प्रविष्ट माने गये जो लोग अभी भारतमें हैं वे या तो आगामी ३० सितम्बर तक यहाँ लौट आयें या फिर आवेदनपत्र लिख भेजें। इनका उक्त तिथिसे पहले-पहले एशियाई मामलोंके कमिश्नरके पास प्रिटोरिया पहुँच जाना जरूरी है। आवेदन-पत्र भेजने के बाद उन्हें भी ३० मार्च, १९२९ तक संघमें अवश्य लौट आना चाहिए। इस सूचनाको भारतके सभी भागोंमें अखबारों द्वारा भली-भाँति प्रचारित करें।

इस प्रकार दक्षिण आफ्रिकामें प्रमार्जन योजनाके सम्बन्धमें जो आन्दोलन चल रहा था और जिसके कारण परम माननीय शास्त्रीकी स्थिति बड़ी विषम हो गई थी तथा जिससे दक्षिण आफ्रिका और यहाँके लोग भी काफी चिन्तित थे, वह समाप्त हो गया है। जिन भारतीयोंको दक्षिण आफ्रिकामें अधिवासके अधिकार प्राप्त हैं, जिनके पास प्रमाणपत्र हैं तथा जो संघमें लौटनेके इस अधिकारका लाभ उठाना चाहते हैं, वे यदि ३० सितम्बरसे पहले खुद ही वहाँ लौट जानेका इरादा न रखते हों तो एशियाई मामलोंके कमिश्नरको प्रिटोरियाके पते पर अपने-अपने आवेदनपत्र भेजने में शीघ्रता बरतें ताकि उनके आवेदनपत्र ३० सितम्बर तक वहाँ पहुँच जायें। हर आवेदकको अपने बारेमें पूरी जानकारी देनी चाहिए – अर्थात् अपना नाम-पता, पेशा, प्रमाणपत्रकी तिथि और संख्या तथा अन्य आवश्यक बातें। आवेदनपत्र काफी पहले ही रजिस्टर्ड डाकसे भेजना चाहिए। बड़ी खुशी होती, अगर मैं ज्यादा निश्चित सलाह दे सकता।