पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/११८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

'अन्यथा इससे बेकारके बखेड़े खड़े होंगे।' क्या आप यह बतानेकी कृपा करेंगे कि जिस मामलेसे आश्रमका कोई सम्बन्ध ही नहीं है, उसकी जाँच वह कैसे करेगा और किस तरह वह एक ऐसी घटनाके विषय में, जिसकी तिथि भी नहीं बताई गई है, लोगोंको, जो आश्रमके लिए सर्वथा अनजान हैं, हिदायतें देगा? लेकिन मैं आपको यह बता दूं कि इसी १९ तारीखकी शामको जेलके कुछ कर्मचारियोंने, बेशक, आश्रमके अहाते में अनधिकार प्रवेश किया, जिससे आश्रमवासियोंने बड़ी झल्लाहटका अनुभव किया। लेकिन जेल-अधिकारियोंका सौभाग्य कहिए कि आश्रमके नियम ऐसे हैं कि वह इस तरह अनधिकार प्रवेश करनेवालों को सजा नहीं दे सकता। किन्तु यदि आप अपने अधीनस्थ कर्मचारियोंको अनुशासन में रखना चाहते हों और उन्हें अपने निर्दोष पड़ोसियोंको परेशान करने से रोकना चाहते हों तो मैं जो आरोप लगा रहा हूँ, उसे सिद्ध करनेके लिए आवश्यक तमाम सबूत आप हमसे ले सकते हैं।

आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दूं कि कल ७ बजे शामकी प्रार्थना सभामें मैंने आश्रमवासियोंको आपका पत्र पढ़कर सुनाया और तब मुझे बताया गया कि आपने जिस घटनाके बारेमें लिखा है, वह शायद पिछली शामको हुई होगी और आपने जो समय बताया है, उस समय, जिन लोगोंको साबरमती स्टेशनकी ओर घूमने जानेकी आदत है, उन्होंने कुछ लोगोंको दो कुत्तोंके साथ तेजीसे वाडजकी ओर जाते देखा था। इन लोगोंका आश्रमसे कोई सम्बन्ध नहीं है।

यद्यपि यह सब मैं आपके इसी २० तारीखके पत्रके उत्तरमें लिख रहा हूँ, फिर भी यहाँ मैं आपके २१ मईके पत्रके बारेमें भी कुछ कहना चाहता हूँ। इस पत्रके मैत्रीपूर्ण स्वरकी मैं कद्र करता हूँ, लेकिन मुझे यह तो कहना ही पड़ेगा कि आपका यह विश्वास कि सम्बन्धित जेल-वार्डरने किसी प्रकारका उग्र व्यवहार नहीं किया, बहुत कमजोर आधारपर ही स्थित हो सकता है। मैं समझ नहीं पाता कि दोनों पक्षोंकी बातें सुने बिना आपने कोई निश्चित मत कैसे कायम कर लिया। आपके २१ मईके पत्रको पढ़ कर मैं चकित रह गया, क्योंकि उससे मुझे यही लगा कि आप समाजमें एक अच्छा खासा दर्जा रखनेवाले ऐसे लोगोंकी अपेक्षा, जिनका ऐसा कोई स्वार्थ नहीं है कि वे किसीके खिलाफ कोई झूठा आरोप लगायें, अपने वार्डरोंकी बातोंपर अधिक भरोसा रखते हैं।

आपको यह भी मालूम होना चाहिए था कि उस ... के तीसरे अनुच्छेदमें उल्लिखित पक्ष ...[१]

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४८३) की फोटो-नकलसे।

 

  1. साधन-सूत्र अपूर्ण है।