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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


हार जायेंगे तो वे लगान नहीं देंगे। सरकारके पास उसको वसूल करनेके लिए दण्डका साधन मौजूद है। इस हठका कारण है श्री वल्लभभाई और जनताके प्रति सरकारके मनमें अविश्वासकी भावना। इस तरहके अपमानको श्री वल्लभभाई अथवा कोई भी दूसरा स्वाभिमान-प्रिय व्यक्ति कैसे सहन कर सकता है? सरकारके इस हठसे उसकी क्षुद्रता और कुबुद्धि उभरकर सामने आ जाती है।

सत्याग्रहियोंका मार्ग स्पष्ट है। उन्हें न्यायसंगत समझौतेके लिए सदा तैयार रहना चाहिए। यदि समझौता न हो तो उन्हें निराश नहीं होना चाहिए और उस स्थितिमें लड़नेके लिए सदा तैयार रहना चाहिए। सत्याग्रहकी लड़ाईकी यह खूबी है कि उसमें गोला-बारूद अथवा किसी बाहरी शस्त्रकी जरूरत नहीं रहती। इसलिए सत्याग्रहीके हिस्से में जब भी लड़ाई आ जाये तभी वे उसके लिए तैयार रहते हैं।

सरकारी विज्ञप्तिको देखते हुए श्री वल्लभभाईको समझौतेकी बातको लम्बा करनेकी जरूरत नहीं रहती। किन्तु सत्याग्रही लड़नेके लिए तैयार रहते हुए ऊपर बताये हुए समझौतेकी आशा कभी न छोड़ें। इसलिए वे समझौतेका एक भी अवसर हाथसे नहीं जाने देंगे। उनका काम पत्थर-जैसे कठोर हृदयको भी पिघलाना है।

बारडोलीके किसानोंको सूरत, बम्बई अथवा शिमलाकी ओर नहीं देखना चाहिए। उन्हें तो ईश्वरकी ओर, अन्तर्यामी प्रभुकी ओर देखते हुए अपनी प्रतिज्ञापर कायम रहना चाहिए और उसका पालन करनेके लिए प्राण देने और बरबाद होनेके लिए तैयार रहना चाहिए। उनके प्राण भले चले जायें किन्तु उनका वचन कभी नहीं जाना चाहिए।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, २२-७-१९२८

 

१०२. टिप्पणियाँ
बारडोलीके साथ मेरा सम्बन्ध

बारडोलीकी लडाईसे मेरा क्या सम्बन्ध है यह 'नवजीवन' के पाठकोंको बताने की जरूरत नहीं है। फिर भी चूँकि इस समय जबरदस्त अफवाहें फैल रही है, इसलिए उससे अपना सम्बन्ध स्पष्ट रूपसे बता देना आवश्यक है। पाठक जानते हैं कि मैं बारडोलीके सत्याग्रहमें उसके प्रारम्भसे ही पड़ा हुआ हूँ। उसके नेता श्री वल्लभभाई हैं और वे जब भी जरूरत हो मुझे बारडोली ले जा सकते हैं। यह आवश्यक नहीं कि उन्हें मेरी सलाहकी जरूरत हो ही; फिर भी जब उन्हें कोई बड़ा कदम उठाना पड़ता है, तब वे मुझसे सलाह करते हैं। किन्तु जो छोटे और बड़े काम वे करते हैं, अपनी जिम्मेवारीपर करते हैं। मैं सभा-सम्मेलनोंमें नहीं जाता, यह मेरे और उनके बीच इस लड़ाईके पहलेसे निश्चित है। मेरा शरीर अब ऐसा नहीं रहा कि मैं चाहे जो काम कर सकूं। इसलिए उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि वे मुझे अहमदाबाद अथवा गुजरात में दूसरी जगह अकारण नहीं ले जायेंगे। उन्होंने