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१०७. तार : सुभाषचन्द्र बोसको

२३ जुलाई, १९२८

मोतीलालजीको तार दिया है कि विशेषकर बंगालकी खातिर उन्हें यह ताज स्वीकार करना ही चाहिए।

गांधी

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३६४५) की फोटो-नकलसे।

 

१०८. पत्र : वल्लभभाई पटेलको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२४ जुलाई, १९२८

भाईश्री वल्लभभाई,

मेरे खयालसे तो हमें गवर्नरके भाषणका[१] अत्यन्त संक्षिप्त उत्तर देना चाहिए। उसमें लोगोंको भ्रममें डालनेका भारी प्रयत्न किया गया है। ऐसी चीजका लम्बा जवाब देकर हम नुकसान उठायेंगे, यह समझकर छोटा ही जवाब[२] भेजता हूँ। 'यंग इंडिया में मैंने कल एक लेख[३] लिखा। भाषणके आधारपर उसे सुधारने की इच्छा नहीं हुई और अधिक लिखनेका विचार भी छोड़ दिया। आप वहाँसे जो कुछ कहेंगे, अभी तो हम उतना ही काफी समझेंगे। अगला सप्ताह तो फिर है ही। मगर एक विचार आज मनमें रह-रहकर उठा करता है। ये १४ दिन बड़े नाजुक हैं। इसलिए हमारी तरफसे एक भी शब्द ऐसा न निकले, जिससे समझौता होना ही हो तो उसमें कोई विघ्न आये। इसलिए मैं मानता हूँ कि अगर फिलहाल वहाँ आपको कोई काम न हो, तो थोड़े दिन यहाँ आकर रह जाइये; या आपको ठीक लगे और आप चाहें, तो मैं वहाँ आकर डेरा डालूँ। आपको गिरफ्तार किये बिना तो अब काम चलेगा ही नहीं, इसलिए शायद मेरा पहलेसे ही वहाँ आकर बैठ जाना आवश्यक हो। इन दोनोंमें से कोई कदम उठाना जरूरी है या नहीं, इसका निश्चय सब बातोंकी जाँच करके आपको ही करना है। इसमें जिम्मेदार मैं नहीं, आप हैं, क्योंकि वहाँकी वस्तुस्थिति में नहीं समझ सकता।

बापू

[गुजरातीसे]

बापुना पत्रो–२: सरदार वल्लभभाईने

 

  1. विधान परिषद् में २३ जुलाईको दिया गया भाषण।
  2. देखिए "टिप्पणियां", २६-७-१९२८ का उपशीर्षक 'श्रीयुत वल्लभभाईका उत्तर'।
  3. देखिए "सरकारसे एक अनुरोध", २३-७-१९२८।