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११०. टिप्पणियाँ
श्रीयुत वल्लभभाईका उत्तर

श्रीयुत वल्लभभाई पटेलने परमश्रेष्ठ द्वारा कौंसिल में इसी २३ तारीखको दिये गये भाषणके उत्तरमें निम्नलिखित वक्तव्य[१] जारी किया है:

मैं यह स्वीकार करता हूँ कि मैंने परमश्रेष्ठसे ऐसे धमकी भरे भाषणको उम्मीद नहीं की थी। मगर धमकियोंकी बात जाने दीजिए। मैं तो उस भ्रान्तिको दूर करना चाहता हूँ जो इस भाषणसे–चाहे वक्ताका वैसा अभिप्राय रहा हो या नहीं – पैदा हो सकती है। गवर्नर महोदय एक तरहसे यही कहते हैं कि यदि सवाल सविनय अवज्ञाका है तो मैं सरकारको सुलभ सारी शक्तिसे उसका मुकाबला करनेको तैयार हूँ, लेकिन "अगर प्रश्न केवल लगानके पुनर्निर्धारणके न्यायसंगत अथवा अन्याय-पूर्ण होनेकी जाँच करनेका है, तो सरकार, उसका जितना पैसा लगानकी मदमें बाकी है उसकी पूरी अदायगी हो जाने और वर्तमान आन्दोलन बन्द कर दिये जानेपर, सारा मामला उस ढंगकी सम्यक्, खुली और स्वतन्त्र जाँचके लिए सौंप देनेको तैयार है जिसकी तजवीज हालमें प्रकाशित वक्तव्य में की गई है।" मैं यह बतानेकी धृष्टता करता हूँ कि इस मामलेमें सविनय अवज्ञाका सवाल तो कभी रहा ही नहीं। मैं जानता हूँ कि सविनय अवज्ञा करना बुद्धिसंगत अथवा उचित होगा, इस विषय में सभी दल एकमत नहीं हैं। इस विषय में मेरा अपना मत भी है उस मतपर मेरा प्रबल आग्रह है। लेकिन बारडोलीके लोग अपना सविनय अवज्ञा करनेका अधिकार मनवाने के लिए संघर्ष नहीं कर रहे हैं। वे सरकार द्वारा लगानमें की गई वृद्धिको समाप्त कर देने या अगर वह समझती हो कि यह वृद्धि अनुचित नहीं है तो वास्तविकताका पता लगानेके लिए एक निष्पक्ष और स्वतन्त्र जाँच समिति नियुक्त कर देनेको प्रेरित करने के उद्देश्य से सविनय अवज्ञाके तरीकेसे – या उनके द्वारा अपनाये तरीकेको चाहे जो नाम दिया जाये – संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए यहाँ सवाल सिर्फ लगानके पुननिर्धारणके न्यायसंगत या अन्यायपूर्ण होनेका ही है। और यदि सरकार इस सवालको "सम्यक्, खुली और स्वतन्त्र जाँच" के लिए सौंपने को तैयार है तो निश्चय ही उसे खुद अपनी ही प्रस्थापनाके तर्कसंगत परिणामको स्वीकार कर लेना चाहिए; और वह संगत परिणाम यह है कि सरकार लगानमें की गई विवादास्पद वृद्धिकी रकमकी अदायगी का आग्रह करना छोड़ दे तथा लोगोंको संघर्ष प्रारम्भ होने से पहलेवाली स्थिति में पुनः पहुँचा दे। मैं जनताको भी "सम्यक्, खुली और स्वतन्त्र जाँच" की सम्भावनाओंको सीमित करनेवाला जो एक वाक्यांश है–अर्थात् "जिसकी तजवीज हालमें प्रकाशित वक्तव्य में की गई है"–उसके खिलाफ आगाह कर देता हूँ। यह वाक्यांश खतरनाक है। कारण, सूरतकी विज्ञप्तिमें जिस चीजका वादा किया गया है वह "सम्यक्,

 

  1. देखिए "पत्र: वल्लभभाई पटेलको", २४-७-१९२८।