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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अन्य लोग बारडोलीकी जनताको बचानेकी आशासे कोई कमजोरी-भरा कदम न उठायें। वह ईश्वरके साये में सर्वथा सुरक्षित है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २-८-१९२८

 

१३२. टिप्पणियाँ
विदेशोंमें प्रचार

देखता हूँ, दीनबन्धु एन्ड्रयूजको भेजे मेरे तारसे[१] लोगोंमें यह खयाल पैदा हो गया है कि मैंने अपने विचार बदल दिये हैं और अब मैं विदेशमें प्रचारपर निर्भर करने लगा हूँ। मैं ऐसी किसी गलतफहमीको तुरन्त दूर कर देना चाहता हूँ। विदेशोंमें प्रचारके विषयमें आज भी मेरे विचार वही हैं जो १९२० में और उससे पहले थे। मैंने दीनबन्धुको जो तार भेजा था वह उनके तारके उत्तरमें था। वैसे वे मेरे बहुत अन्तरंग मित्र हैं, लेकिन बारडोलीके मामलेको लेकर मैंने उन्हें कभी परेशान नहीं किया है। लेकिन जब उन्होंने तार भेजकर मुझसे कहा कि मैं समय-समयपर उन्हें बारडोलीके विषय में जानकारी देता रहूँ तो मुझसे इनकार करते न बना। और यदि इसे विदेशोंमें प्रचार करना कहा जा सकता हो तो वैसा प्रचार मैं आगे भी करता रहूँगा और दूसरोंको भी इंग्लैंड तथा अन्य देशोंमें रहनेवाले अपने मित्रोंको ऐसी जानकारी देते रहनेकी सलाह दूंगा। लेकिन जब बात प्रचारार्थ लोगोंको यहाँसे बाहर भेजने या तदर्थ कोई संगठन स्थापित करनेपर आती है तो इसके खिलाफ मेरी आत्मा विद्रोह कर उठती है और मुझसे कहती है कि हम हवामें मुक्के चला रहे हैं। दूसरे देशोंकी जनता हमारी बातोंको या हमारे लेखोंको, वे चाहे जितने तर्कसंगत हों, सुनने-समझनेको आतुर नहीं है। वह हमसे कुछ कर दिखानेकी अपेक्षा रखती है और हमारे कार्योंके बारे में जानने की आतुरता उसे अवश्य होगी। हमारे प्रचारका क्षेत्र यहाँ है और यही उस प्रचारकी घड़ी है। और जब हम अपने देशमें अपनी योग्य स्थिति प्राप्त कर लेंगे तो बाकी सब अपने-आप हो जायेगा।

 

भारतीय जहाजरानी

भारतीय जहाजरानीके विनाशकी कहानी और उसके राष्ट्रीय ग्रामोद्योग, अर्थात् सूती वस्त्र निर्माणके विनाशकी दुःखद गाथा, दोनों एक ही चीज हैं। भारतीय जहाजरानीका विनाश भारतके उक्त प्रमुख उद्योगकी भस्म-राशि पर लंकाशायरके उत्थानका एक तकाजा-सा था।

 

  1. देखिए "तार: सी॰ एफ॰ एन्ड्यूजको", ३०-८-१९२८ को या उसके पूर्व।