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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करना भी सत्यकी उपेक्षा करना है। और कहनेकी जरूरत नहीं कि मैं तुमसे दूर हूँ, इसके लिए भी तुम्हें परेशान नहीं होना है।

इधरसे अभी देने लायक कोई समाचार नहीं है। वल्लभभाई अच्छी तरह हैं। पूनासे उन्हें अभी कोई बुलावा नहीं आया है।

स्नेह।

बापू

[पुनश्च:]

धर्मकुमार और सत्यदेवीकी देख-भाल करना।

अंग्रेजी (सी॰ डब्ल्यू॰ ५३२८) तथा जी॰ एन॰ ८२१८से भी ।

सौजन्य : मीराबहन

 

१३४. पत्र : वालजी गो॰ देसाईको

स्वराज आश्रम, बारडोली
बृहस्पतिवार [अगस्त २][१] १९२८

भाईश्री वालजी,

उस बही-खातेवाले गोसेवककी माँगके बारेमें पारनेरकरने[२] जो लिखा था मैं समझता था कि वह मेरे कागजोंमें मिल जाएगा। किन्तु यहाँ जो कागजात रखे हैं उनमें वह कागज नहीं मिला। अब तुम उसे खोजना। कौन जाने मेरी कोठरीमें ही कहीं पड़ा हो। खोजकर मुझे लिखना।

क्या तुमने गोसेवा संघके संविधानका मसौदा तैयार कर लिया? मेरे वहाँ लौटने तक यदि तैयार कर लो तो अच्छा हो।

आशा है तुम अपने स्वास्थ्यका ध्यान रखते होगे।

बापू

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ७३९५ ) से।

सौजन्य: वालजी गो॰ देसाई

 

  1. इस तारीखको गांधीजी बारडोलीमें थे।
  2. १० म॰ पारनेरकर।