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पत्र: अब्दुल कयूमको

पतिके साथ भी रह चुकी हो। मैं आपकी इस बातसे सहमत हूँ कि जिस विधवाके बच्चे हों, उसके लिए पुनविवाह करना ठीक नहीं है।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत विश्वनाथसिंह,
१२, होरी सरकार लेन
बड़ा बाजार, कलकत्ता

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३९०८) की माइक्रोफिल्मसे।

 

१४७. पत्र : अब्दुल कयूमको[१]

स्वराज आश्रम, बारडोली
४ अगस्त, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला ।

मैं पंजाबमें किसी प्राकृतिक चिकित्सा-विशेषज्ञको नहीं जानता। लेकिन आपको किसीकी जरूरत भी नहीं है। आपको तो बस प्रातःकाल, जब सूर्यकी किरणें खुले बदनपर सहन की जा सकती हैं, सूर्य-स्नान तथा सादे, अनुत्तेजक भोजनकी ही जरूरत है। यदि इस इलाजसे आपको फायदा नहीं होता तो फिर और किसीसे फायदा होनेकी सम्भावना नहीं।

हृदयसे आपका,

शेख अब्दुल कयूम
बटाला

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३९०६) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. अब्दुल कयूमके ४ जुलाई, १९२८ के पत्र (एस॰ एन॰ १३८७३) के उत्तरमें लिखा गया था। अब्दुल कयूमने गांधीजों से पदमा-ग्रन्थिके इलाज के लिए कोई प्राकृतिक चिकित्सा-विशेषज्ञ सुझानेका अनुरोध किया था।
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