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पत्र: प्यारेलाल चोपड़ाको

क्षण वे अपनी जरूरतका सारा कपड़ा तैयार कर सकते हैं और सो भी बाजारमें उसके लिए उन्हें जितनी कीमत देनी पड़ेगी, उससे कम खर्चमें ही।

हृदयसे आपका,

विशनाथ तिक्कू
शाला कदल, श्रीनगर, कश्मीर

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३८९८) की माइक्रोफिल्मसे।

 

१५४. पत्र: प्यारेलाल चोपड़ाको

स्वराज आश्रम, बारडोली
४ अगस्त, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला ।

आपको दूध नहीं छोड़ना चाहिए। अगर थोड़ी मात्रामें लें तो बिना रँधा साग ले सकते हैं। आरम्भमें प्रतिदिन १ औंससे अधिक नहीं होना चाहिए। गेहूँ छोड़नेकी आवश्यकता नहीं है। मुलायम करनेके लिए पूरी रात पानीमें भिगोकर बिना पकाया गेहूँ ले सकते हैं।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत प्यारेलाल चोपड़ा
हेड क्लर्क, इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया
दरभंगा

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३९०१) की माइक्रोफिल्मसे।