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समझौता अथवा लड़ाई

रहना चाहिए। वे समझौतेका एक भी अवसर हाथसे न जाने दें और सदा लड़ाईके लिए तैयार रहें। उनके लिए कोई टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता तो हो ही नहीं सकता। उनके सामने अभिमन्युकी तरह किसी चक्रव्यूहका प्रश्न ही नहीं हो सकता। उनके सामने तो एक ही स्वर्णिम और सरल ऐसा रास्ता है जिसे कोई बच्चा भी देख सकता है। उसमें न तो छिपानेकी कोई बात हो सकती है और न भेदनीति ही चल सकती है। फिर उन लोगोंको विचार किस बातका करना है? इन्हें सोमवारको समझौतेका समाचार मिले तो भी ठीक है और वल्लभभाईकी गिरफ्तारीकी खबर मिले तो भी ठीक है।

यदि सत्याग्रही श्री वल्लभभाईके नेतृत्व में अपना पूरा पाठ पढ़ चुके होंगे, तो वे वल्लभभाई अथवा किसी दूसरे नेताकी गिरफ्तारीसे बिलकुल नहीं घबरायेंगे। वे जो होना होगा उसकी चिन्ता नहीं करेंगे और अपनी टेक पर कायम रहेंगे।

जो लोग समझौतेकी कोशिश कर रहे हैं, उनको इसका अधिकार है। व्यर्थ लड़ाईको रोकनेमें भाग लेना प्रत्येक नागरिकका धर्म है; किन्तु यदि वे सत्याग्रहियोंपर झूठी दया करके समझौतेके झगड़ेमें पड़ेंगे तो वे देशको हानि पहुँचाएँगे और सत्याग्रहियोंके सम्बन्धमें अपना अज्ञान सिद्ध करेंगे। सत्याग्रही दयाके पात्र नहीं हैं; वे दयाके भूखे भी नहीं हैं; वे तो न्यायके भूखे हैं, इसलिए जो लोग उनको निर्बल समझकर उनके लिए दयाकी याचना करने जायेंगे, उनका प्रयत्न सम्भवतः निष्फल होगा। यदि सत्याग्रहियोंकी माँग न्यायसंगत हो तो उनके लिए दृढ़तापूर्वक न्यायकी माँग करना समझौता करवानेवालों का धर्म है। इसलिए उनको जरूरत है सत्याग्रहियोंकी माँग और उनकी लड़ाईको समझनेकी। सत्याग्रही दुःख उठानेको आनन्द मानकर लड़ाईमें कूदते हैं। इसलिए उनके दुःखसे दुःखी होकर उस कारणसे समझौतेका प्रयत्न करनेका अधिकार किसीको नहीं है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस प्रकार बीचमें आनेवाले लोग लड़ाईको जल्दी खत्म करानेके बजाय लम्बा ही करेंगे।

सत्याग्रही सदा लोकमतको प्रशिक्षित करना चाहते हैं; इसीलिए वे अपनी ठीक स्थिति पूरी तरहसे लोगोंको बताना चाहते हैं। तिस पर भी यदि कोई अज्ञानमें रहकर कल्पित तथ्योंके आधारपर समझौतेका वितान तानता है तो उसका बनाया वह वितान किसी कागजके ताबूतकी तरह सत्यरूपी दियासलाईकी एक सींकसे जल जायेगा। समझौतेके इच्छुक सब लोगोंको यह भरोसा रखना चाहिए कि जो लोग खुद कष्ट ओढ़नेके लिए तैयार हुए होंगे वे कभी अति करनेका दोष नहीं करेंगे। अन्य सब मार्ग बन्द हो जाने पर ही वे सत्याग्रहका मार्ग ग्रहण करते हैं। बारडोली, वालोडके सत्याग्रही ऐसे ही सत्याग्रही है। उन्होंने सत्याग्रहका मार्ग तभी ग्रहण किया है जब उनके अन्य उपाय प्रायः विफल हो चुके थे।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, ५-८-१९२८