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१७५. पत्र : वसुमती पण्डितको

सोमवार [६ अगस्त, १९२८][१]

चि॰ वसुमती,

आज तीन पोस्टकार्ड एक साथ मिले। उनसे तुम्हारे स्वास्थ्यके बारेमें अच्छी खबर मिली। मैं तार तो ये पोस्टकार्ड मिलनेके पहले ही भेज चुका था। यह मैं जानता हूँ कि वहाँ तुम्हें डॉक्टरके आदेशानुसार ही चलना चाहिए। भगवान् करे तुम जल्दीसे-जल्दी स्वस्थ हो जाओ।

बारडोलीके बारेमें समझौता हो जाना करीब-करीब निश्चित ही है, किन्तु मुझे यहाँ और कुछ दिन रुकना पड़ेगा।

बापूके आशीर्वाद

चि॰ वसुमतीबहन
कन्या गुरुकुल

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ४९१) की फोटो-नकलसे।

सौजन्य: वसुमती पण्डित

 

१७६. पत्र: कुसुम देसाईको

बारडोली
६ अगस्त, १९२८

चि॰ कुसुम,

मीराबहन लिखती हैं कि तुम अभी तक चंगी नहीं हुई। आज तुम्हारा पत्र भी नहीं मिला इसलिए उसकी बातकी पुष्टि होती है। सोच-विचारके चक्करमें तो नहीं पड़ी न?

समझौता हो जाना करीब-करीब निश्चित है इसलिए कुछ ही दिनोंमें वापस लौट आऊँगा। किन्तु जितने दिन रहनेकी सोची थी उसकी अपेक्षा कुछ अधिक रुकना पड़ेगा। वल्लभभाई ऐसा चाहते हैं।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी॰ एन॰ १७५८) की फोटो-नकलसे।

 

  1. डाककी मुहरसे।